संसद ने मंगलवार को आर्म्स संशोधन विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी जिसमें अवैध हथियारों के निर्माण पर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया है। राज्यसभा ने विधेयक को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा ने इसे बीते सोमवार को ही पारित कर दिया था।
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री जी। किशन रेड्डी ने कहा, ‘1959 के अधिनियम में कई विसंगतियां थीं और इस विधेयक के माध्यम से उनको दूर किया जा रहा है।’
उन्होंने कहा कि गैर कानूनी हथियारों को बेचने और तस्करी करने वालों को आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है, इसमें किसी को आपत्ति नहीं हो सकती है।
पुलिस से शस्त्र छीनने वाले और चुराने वालों के लिए भी सख्त प्रावधान किया गया है। प्रतिबंधित गोला-बारूद रखने वालों को 7 से 14 वर्ष की सजा का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि त्योहारों, शादी विवाह के मौकों पर फायरिंग करने वालों को अब जेल जाना पड़ेगा। ऐसे मामलों में दो साल की सजा या एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है। साल 2016 में 169 लोगों की ऐसी हर्ष फायरिंग की घटनाओं में जान गई थी।
विधेयक पर चर्चा के दौरान कई सदस्यों ने कहा कि एक लाइसेंस पर तीन शस्त्र तक रखने के प्रावधानों को बरकरार रखा जाना चाहिए। इसे घटा कर दो शस्त्र नहीं करना चाहिए।
लाइव लॉ के मुताबिक, विधेयक में पुलिस या सशस्त्र बलों से हथियार छीनने का एक नया अपराध भी शामिल है। जो भी बल का उपयोग करके पुलिस या सुरक्षाबलों से हथियार या उनके आर्म्स को छीनता है तो उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
विधेयक संगठित अपराध सिंडिकेट और अवैध तस्करी द्वारा किए गए अपराधों को भी परिभाषित करता है। संगठित अपराध सिंडिकेट का मतलब है कि दो या इससे अधिक व्यक्तियों द्वारा संगठित अपराध को अंजाम देना।
किसी सिंडिकेट के सदस्य द्वारा अधिनियम का उल्लंघन करके हथियार या गोला-बारूद रखने पर 10 साल और आजीवन कारावास के साथ जुर्माना की सजा हो सकती है।
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)