बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) में जयपुर के एक मुस्लिम शख्स की संस्कृत प्रोफेसर (Muslim Sanskrit Professor) के तौर पर नियुक्ति का वहां के कुछ छात्र विरोध कर रहे हैं। छात्र संस्कृत डिपार्टमेंट में डॉक्टर फिरोज खान की नियुक्ति पर सवाल उठा रहे हैं। इन सबके बीच सोशल मीडिया पर कुछ लोग केरल की एक ब्राह्मण महिला टीचर की याद दिला रहे हैं। केरल की गोपालिका अंथरजनम (Gopalika Antharjanam) ने एक प्राइमरी स्कूल में करीब 29 साल तक अरबी पढ़ाई।
गोपालिका अंथरजनम केरल के त्रिशुर जिले के कुन्नमकुलम गांव की रहने वाली हैं। उनका परिवार कोट्टियूर मंदिर में कई साल से पुजारी की सेवा दे रहा है। गोपालिका बताती हैं कि 17 साल की उम्र से ही उन्हें अरबी के प्रति दिलचस्पी हुई। उन्होंने ये भाषा सीखने के लिए अपने परिवार से बात की। परिवार ने भी अनुमति दे दी। बस फिर क्या था, गोपालिका ने अपनी मेहनत और लगन से अरबी में बहुत अच्छी पकड़ बना ली। पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने चेम्मानियूडू सरकारी प्राइमरी स्कूल में नौकरी कर ली। यहां वह 1987 से बच्चों को अरबी की शिक्षा दे रही थीं। 31 मार्च 2016 में वह रिटायर हुईं।
गोपालिका बताती हैं, ‘मुझे स्कूल के दिनों से ही अलग-अलग भाषाएं पढ़ने का शौक था। हाई स्कूल में मैंने संस्कृत सीखी। हमारे गांव में एक संस्था है, जो अरबी की तालीम देती है। मैंने वहीं से अरबी सीखी। अब रिटायरमेंट के बाद बच्चों को घर पर ही अरबी की तालीम देती हूं।’
जब उन्होंने पहली बार अरबी पढ़ना शुरू किया था, तो कई रिश्तेदारों ने इसपर आपत्ति जाहिर की थी। उनका कहना था कि एक ब्राह्मण महिला का अरबी पढ़ना बिल्कुल गलत है, लेकिन गोपालिका ने इन सभी लोगों को गलत साबित कर दिया। गोपालिका बताती हैं, ‘अरबी एक खूबसूरत भाषा है। ये दिल से निकलती है और दिल को जोड़ती है।’
गोपालिका अंथरजनम शायद केरल में अरबी की पहली ब्राह्मण टीचर हैं। वह बताती हैं कि पहले ऐसा करना बहुत मुश्किल था, क्योंकि हर कदम पर बाधाएं आती थीं। हालांकि परिवार और ससुराल वालों ने हमेशा साथ दिया। गोपालिका बताती हैं कि भाषाओं को धर्म से जोड़कर नहीं देखना चाहिए, क्योंकि शिक्षा धर्म के बंधन में बंधकर नहीं विकसित हो सकती है।