देश का गरीब किसान हमेशा से आर्थिकतंगी की मार झेलता आ रहा है लेकिन इनके इरादे इतने मजबूत होते हैं कि कठिन से कठिन परिस्थितियां भी इनका रास्ता नहीं रोक सकती. कर्नाटक के एक किसान परिवार ने इसका ताज़ा उदाहरण पेश किया है.
कर्नाटक के धारवाड़ जिले के एक छोटे से गांव के 43 वर्षीय किसान कलप्पा जवूर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. उनके पास ना तो खेत जोतने के लिए बैल थे और ना मशीनरी. इसके बावजूद भी उन्होंने खेती करने का फैसला किया. जवूर की तीन बेटियां हैं और इन्हीं बेटियों के कारण इस किसान के लिए खेती कर पाना संभव हो पाया.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार जावूर अपनी एक एकड़ जमीन पर खेती करना चाहते थे लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि वह बैल और मशीनरी किराए पर भी नहीं ले सकते थे. पिता को परेशान देख उनकी बेटियों ने उनकी मदद करने की ठानी.
हल खींचते हुए इस किसान परिवार का वीडियो अब सोशल मीडिया पर खू़ब वायरल हो रहा है. लोग इनके प्रति सहानुभूति प्रकट करते हुए उनकी मदद के लिए आगे आ रहे हैं.
कलप्पा एक बीमारी से जूझ रहे थे. इसके लिए उन्हें दो बार सर्जरी करानी पड़ी. जब उनका स्वास्थ्य ठीक हुआ तो उन्होंने फैसला किया कि वह खेती करेंगे. एक तो वह अभी अभी बीमारी से उबरे थे और उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी. उनके पास संसाधनों की भी कमी थी. उनकी बड़ी बेटी मेघा और बेटी साक्षी ने उनकी मदद की और खुद से खेत में हल खींचने लगीं. बेटियों के इस प्रयास के बाद कलप्पा सोयाबीन की बुवाई करने में सफल रहे.
कलप्पा की तीनों बेटियां अभी पढ़ रही हैं. उनकी बड़ी बेटी मेघा हुबली से कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा कर रही हैं. वहीं साक्षी 10वीं क्लास में पढ़ रही है और उनकी तीसरी बेटी सरला गांव के ही स्कूल में 7वीं कक्षा में पढ़ती हैं. कलप्पा चाहते हैं कि उनकी बेटियां खूब पढ़ें. यही वजह है कि वह ज्यादा पैसे कमाने के लिए ज्यादा मेहनत कर रहे हैं. कलप्पा कहते हैं कि बेटियों का साथ मिलने के बाद उनका आत्मविश्वास बढ़ गया. खेती के दौरान मेघा और साक्षी दोनों हल खींचती थीं और कलप्पा बुवाई करते थे.
इस किसान परिवार की स्थिति के बारे में जानने के बाद लोग इनकी मदद के लिए आगे आ रहे हैं. हुबली के पूर्व एमएलसी नागराज चेब्बी ने भी इस परिवार की मदद करते हुए इन्हें एक जोड़ी बैल भेंट किए.