सोनाली कुमारी
दुनिया में पांव पसार चुके कोरोना को देखते हुए पूर्वी सिंहभूम ई जिले के युवक आयुष अग्रवाल ने लाँकडाउन फोर में सबसे सस्ता वेंटिलेटर बनाया है । इस वेटिलेंटर को बनाने में ₹3000 खर्च हुए हैं। कोरोना महामारी में यह वेंटिलेटर रामबाण साबित होगा। वेंटिलेटर का वजन लगभग ढाई किलो है ।पोर्टेबल होने की वजह से इसे आप हाथ में पकड़ कर कहीं भी ले जा सकते हैं। साथ ही यह वेंटिलेटर इलाज को भी सस्ता बनाएगा।
इस वेंटीलेटर को बनाने वाला युवक एनआईटी दिल्ली के एम्टेक का छात्र है। वह लॉकडाउन 4 में अपने आवास में रहकर रिसर्च वर्क कर रहा है ।इस रिसर्च के दौरान ही वेंटिलेटर को बना डाला ,ताकि यह लोगों के सुलभ तरीके से इस्तेमाल हो सके ।इसका फायदा गरीब से गरीब लोगों को भी मिले। इस वेंटीलेटर मशीन को एनआईटीदिल्ली ने अप्रूव करते हुए पेटेंट फाइल कर दिया है ।इसकी जानकारी संसाधन ने स्वास्थ्य मंत्रालय को दे दी है ।एनआईटी ने इस मशीन का प्रारंभिक परीक्षण भी अपने छात्रों के बीच किया है।
कोविड -19 के मरीज को ध्यान रखते हुए बनाया गया वेंटिलेटर एम्टेक के छात्र आयुष अग्रवाल ने बताया कि कोविड -19 के मरीज को ध्यान में रखकर वेंटिलेटर बना रहा हूं , इस क्राय में वे एक माह से जुटे हुए हैं । जब इस कार्य में वे सफल हुए तो उन्होंने इसकी जानकारी एनआईटी दिल्ली को दी ।इसके बाद एनआईटी ने सारी प्रक्रिया प्रारंभ करवाई। आयुष ने बताया कि कोविड-19 बोर्ड में सबसे पहले मरीज को वेंटिलेटर पर रखना होता है ।वेंटिलेटर बाजार में 20000 से लेकर 20 लाख तक आता है। सभी को यह उपलब्धि नहीं हो पाता था। इस कारण सस्ता वेंटिलेटर बनाने की सोची, ताकि ग्रामीण क्षेत्र में अस्पताल में यह सुलभ तरीके से उपलब्ध हो सके। आयुष ने बताया कि यह मशीन बिना बिजली का भी चल सकता है। इस मशीन को बैटरी के सहारे भी चलाया जा सकता है।