बिहार में इंडस्ट्रियल फिश एंड फिशरीज की पढ़ाई करने वाले छात्रों को सीधे अफसर (मत्स्य विकास पदाधिकारी) बनने का मौका मिलेगा। इससे न सिर्फ क्षेत्र में मछली उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। बल्कि मछली उत्पादकों को सरकार की योजना और तकनीकी जानकारी भी मिल पाएगी। बिहार पशु एवं मत्स्य संसाधन (मत्स्य) सेवा भर्ती नियमावली 2007 में संशोधन कर बिहार पशु एवं मत्स्य संसाधन सेवा भर्ती संशोधन नियमावली 2020 के प्रारूप को हरी झंडी मिल चुकी है। इसके साथ ही मत्स्य निरीक्षक एवं मत्स्य प्रसार पर्यवेक्षक पद को मत्स्य विकास पदाधिकारी (एफडीओ) में समायोजन कर दिया है। एफडीओ की तैनाती प्रखंडों में होगी। जिला मत्स्य पदाधिकारी संजय कुमार किस्कू ने बताया कि प्रखंडों में मत्स्य विभाग का कार्यबल काफी कम है। एफडीओ के आने के बाद मछली उत्पादकों को सरकार की योजना, अनुदान, सहायता के साथ-साथ तकनीकी जानकारी दी जाएगी। इससे रोजगार की संभावना भी बढ़ेगी।
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) अंतर्गत जीबी कॉलेज नवगछिया में सूबे का एकमात्र इंडस्ट्रियल फिश एंड फिशरीज (आईएफएफ)की पढ़ाई हो रही है। जीबी कॉलेज नवगछिया के जुलॉजी के विभागाध्यक्ष व आईएफएफ के को-ऑर्डिनेटर प्रो. फिरोज अहमद ने बताया कि 30 सीटों पर छात्रों का नामांकन हो रहा है। अब तक छात्र जूनियर अधिकारी बनते थे। एकेडमिक काउंसिल से इसकी सीट बढ़ाने की भी मांग की गयी है। ताकि अधिक से अधिक छात्र नामांकन लेकर पढ़ाई करें। प्रो. फिरोज अहमद ने बताया कि इसके लिए न्यूनतम अर्हता मान्यता प्राप्त विवि से इंडस्ट्रियल फिश एंड फिशरीज की डिग्री। बीएससी एक्वा कल्चरल, बीएफसी अथवा केंद्रीय इनलैंड फिशरीज का एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा अथवा केंद्रीय संस्थानों से पढ़ाई करने वाले छात्रों को मौका मिलेगा। भर्ती की प्रक्रिया मत्स्य निदेशालय, बिहार कर्मचारी चयन आयोग या बिहार तकनीकी कर्मचारी चयन आयोग द्वारा होगा।
गंगा और कोसी से मिलने वाली मछली के अलावा कहलगांव, शाहकुंड, सन्हौला, नवगछिया आदि इलाके में मछली पालन के कामों में तेजी आयी है। जिला मत्स्य पदाधिकारी ने कहा कि जिले में आठ हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता है। जबकि 15-16 हजार मीट्रिक टन का लक्ष्य मिलता है। वहीं जिले में 12 हजार मीट्रिक टन मछली की जरूरत है। मत्स्यजीवी सहयोग समिति से 22 हजार मछुआरे जुड़े हैं। 830 सरकारी तालाब से मछली का उत्पादन होता है।