को/रोना संक्रमण के संकट के दौर में बिहार के जमालपुर रेल कारखाना ने वेंटिलेटर बनाया है। ऐसा करने वाला वह देश का पहला रेल कारखाना बन गया है। खास बात यह है कि इस वेंटिलेटर की लागत महज 8 हजार रुपये ही है। पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक और रेल मंत्रालय को इसकी जानकारी दी गई है।
जमालपुर रेल कारखाना के कर्मियों ने 5-10 लाख में तैयार होने वाले वेंटिलेटर को महज 8 हजार बनाकर इस अापदा की घड़ी में एक बार फिर अपनी कार्यकुशलता का परिचय दिया है। अब इसकी गुणवत्ता जांच कराने के लिए पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक कोलकाता को भेजा है। उनकी हरी झंडी मिलते ही जमालपुर रेल कारखाना में वेंटिलेटर का निर्माण शुरू हो जाएगा।
जमालपुर रेल कारखाना ने सेनेटाइजर और अस्पतालों के लिए बेड निर्माण भी शुरू किया है। बता दें कि मुंगेर राज्य में संक्रमण के लिए बेहद संवदेनशील है। कोरोना संक्रमण के बाद वेंटिलेटर को लेकर देशभर चिंता जताई जा रही है। जिसे रेल कारखाना के कर्मियों ने चुनौती के रूप में स्वीकार किया। इसके पहले भी यहां के कर्मियों ने जर्मनी से 87 करोड़ की लागत से अायात होने वाले 140 टन के क्रेन को आठ करोड़ में बनाकर इतिहास रचा था।
कारखाना में कार्यरत रेल कर्मियों द्वारा वेंटिलेटर, सेनेटाइजर, मास्क, ऑक्सीजन सेट, डिस्पेंसर सहित अनेक तरह के उपकरणों के निर्माण में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी का विशेष रूप से पालन किया जा रहा है। ताकि बनाए गए उपकरण गुणवत्ता एवं मानकों पर खरे उतर सकें। अगर जीएम अंतिम मुहर लग जाती है तो फर्स्ट फेज में 60 वेंटिलेटर बनाने की तैयारी की जा रही है। साथ ही विभिन्न प्रांतों से भी आर्डर लिया जाएगा।वेंटिलेटर एक ऐसी मशीन है, जो इंसान की जिंदगी बचाती है। जिन लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है उनके लिए जरूरी है।
सरकारी अस्पतालों में 14,220 आइसीयू वेंटिलेटर हैं। इसके अतिरिक्त कोविड-19 के रोगियों के लिए बनाए गए विशेष अस्पतालों में करीब 6,000 वेंटिलेटर हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना से हालात बिगड़ने की स्थिति में 15 मई तक देश में एक लाख से लेकर 2.2 लाख वेंटिलेटर की जरूरत हो सकती है। दिल्ली के अपोलो अस्पताल के डॉ. राजेश चावला मानते हैं कि अभी वेंटिलेटर की कमी नहीं है, क्योंकि अधिकांश का ऑक्सीजन से काम चल जा रहा है।
विदित हो कि बिहार के जमालपुर में रेल कारखाना की स्थापना 8 फरवरी 1862 को की गई थी। तब यह एशिया का सबसे बड़ा रेल कारखाना था। इस कारखाने से ही देश का पहला भाप इंजन निकला था। इसी कारखाने में देश का पहला रेल क्रेन भी बनाया गया था। लेकिन भाप इंजन की उपयोगिता समाप्त होने के साथ इस कारखाना में काम कम होता गया।जमालपुर रेल कारखाने में केवल रेल संबंधी निर्माण ही नहीं किए गए हैं। देश की जरूरतों के अनुसार इसने रेल के अलावा अन्य चीजें भी बनाई हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान यहां ब/म बनाए गए थे। ताजा मामला वेटिलेटर के निर्माण का भी है।