नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 यानी CAB संसद के दोनों सदनों में पास हो गया। राष्ट्रपति ने भी साइन कर दिया। विरोधी पार्टियों ने इसका खूब विरोध किया, लेकिन पास होने से रोक नहीं सके। देश के कई हिस्सों में लोग खुशी मना रहे हैं, तो कुछ हिस्सों में इसका जमकर विरोध भी हो रहा है। ट्विटर पर भी लोग अपनी-अपनी राय रख रहे हैं। इन सबके बीच तसलीमा नसरीन ने भी अपनी बात रखी। CAB के विरोध में कई सारे ट्वीट किए।
एक ट्वीट में लिखा,
‘तसलीमा और सुदीप। दोनों बांग्लादेश से हैं। दोनों ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन डाला। लेकिन नागरिकता किसे मिलेगी? सुदीप को, क्योंकि वो हिंदू है। लेकिन तसलीमा को सुदीप की तुलना में अपने विचारों के लिए ज्यादा सताया गया है। तसलीमा असल मायनों में बेघर है, बांग्लादेश में उसे प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा। सुदीप किसी भी वक्त वापस जा सकता है।’
Taslima & Sudip। Both from Bangladesh। Both applied for Indian citizenship। Who will get it? Sudip, cause he is a Hindu। But Taslima was much more persecuted for her views than Sudip।Taslima is truly homeless, prevented from entering B’desh। Sudip is not। He can go back any time।
— taslima nasreen (@taslimanasreen) December 12, 2019
उन्होंने अगले ट्वीट में लिखा,
‘इस्लामिक देशों में मुस्लिम समुदाय के उदारवादी धर्मनिरपेक्ष लोगों को, आज़ाद विचार रखने वालों को, नास्तिकों को और इस्लाम की आलोचना करने वालों को गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों की तुलना में ज्यादा सताया जाता है। उन्हें जेल में डाल दिया जाता है, देश से निकाल दिया जाता है या फिर मार डाला जाता है। मुस्लिम कट्टरपंथी लोग और सरकार ही ऐसा करती है।’
In Islamic countries liberal secularists, free thinkers, atheists and critics of Islam from Muslim community are much more tortured, persecuted, imprisoned,exiled, and killed than non-Muslims by Muslim fanatics and governments।
— taslima nasreen (@taslimanasreen) December 12, 2019
तसलीमा के दोनों ट्वीट्स पर लोगों ने सवाल खड़े किए। पूछा कि उनके पास तो स्वीडन की नागरिकता है, फिर वो भारत का नागरिक क्यों बनना चाहती हैं?
First give up Swedish Citizenship। pic।twitter।com/tYCkWdOROv
— Dev (@TheDevSpeaks) December 12, 2019
इन सवालों का जवाब देते हुए तसलीमा ने अगले ट्वीट में लिखा,
‘मैं बांग्लादेश से भारत नहीं आई थी। मैं स्वीडन से भारत आई थी। मुझे लगा कि रहने के मकसद से मेरे लिए भारत एक अच्छा देश है। मैं अभी भी ऐसा ही सोचती हूं। बहुत से हिंदू जो यूरोप में रहते हैं, वो मेरी तरह नहीं सोचते। जो किसी देश को प्यार करता है, वो देश उसके लिए होना चाहिए।’
I did not move to India from Bangladesh। I moved to India from Sweden। I thought for me India was a better country to live in। I still think। Many Hindus who live in Europe do not think like me। A country should belong to them who love the country।
— taslima nasreen (@taslimanasreen) December 13, 2019
तसलीमा की कहानी क्या है-
वैसे तो बहुत लंबी है, लेकिन शॉर्ट में बताते हैं। इन्होंने MBBS की डिग्री ले रखी है, यानी डॉक्टर हैं। लेकिन हमेशा से लिखने और पढ़ने में दिलचस्पी थी। इसलिए डॉक्टर बनने के बाद भी लिखती रहीं। 1993 में इन्होंने लज्जा नाम का एक उपन्यास लिखा। जिसमें बांग्लादेश में रहने वाले एक हिंदू परिवार की कहानी बताई। बताया कि मुस्लिम समुदाय के लोग उस परिवार के ऊपर हमला करते हैं, जिस वजह से उस परिवार को देश छोड़ना पड़ जाता है। नॉवेल के आने के बाद तसलीमा की खूब आलोचना हुई। उनका बहुत विरोध हुआ। नतीजा ये हुआ कि उन्हें अपना देश ही छोड़ना पड़ गया। वो कई साल तक यूरोप के कई देशों में रहती रहीं।
स्वीडन की नागरिकता उन्हें मिल गई। साल 2004 में वो भारत आईं। कोलकाता में रहीं। लेकिन वहां भी कुछ कट्टरपंथी मुस्लिमों ने उनके ऊपर हमला किया। वो फिर स्वीडन वापस चली गईं। लेकिन फिर उन्हें लगा कि उनकी आत्मा तो भारत में ही बसती है। इसलिए वो फिर भारत आ गईं। कोलकाता में रहना चाहती हैं, लेकिन उन्हें वहां रहने की परमिशन नहीं मिली। इसलिए दिल्ली में ही रह रही हैं। वो भारत में परमानेंट रेजीडेंसी लेने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है।
लालिमा वाया लल्लनटॉप