पूर्वी लद्दाख में भारत और चीनी सेनाओं के बीच फिर से टकराव होने की घटनाओं से अब तक के शांत प्रयासों पर पानी फिरता दिख रहा है। गलवान घाटी की हिंसा की घटना के बाद दोनों देशों के बीच टकराव टालने की कई दौर की बैठकें हुई थी और तीन स्थानों पर टकराव खत्म भी हो गया था। लेकिन इस घटना के बाद तनातनी बढ़ गई है। सेना ने अरुणाचल से लेकर लद्दाख तक पूरे क्षेत्र में सेना को हाई अलर्ट पर रखा है।
इस बीच उपग्रह से प्राप्त कुछ तस्वीरों में लद्दाख में चीनी के क्षेत्र में हैलीपैड निर्माण की भी जानकारी मिली है। ये हाल-फिलहाल बनाए गए हैं। आशंका व्यक्त की जा रही है कि टकराव की आड़ में चीन लगातार एलएसी के निकट अपनी सैन्य तैयारियां बढ़ा रहा है। इससे टकराव बढ़ने की आशंका व्यक्त की गई है।
सेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मौजूदा टकराव के लिए चीन का आक्रामक रुख जिम्मेदार है। पैंगोंग त्सो इलाके में चीन फिंगर-4 से हटकर फिंगर-5 में डट गया और उसने भारत के पीछे हटने की शर्त लगा दी थी। जबकि फिंगर-8 तक के समूचे इलाके पर पहले से ही भारत काबिज रहा है। ऐसी स्थितियों में मोटे तौर पर यथास्थिति कायम रखी जाती है, लेकिन 29 अगस्त की रात की घटना से स्पष्ट हो गया है कि चीन की ऐसी कोई मंशा नहीं है।
सेना के सूत्रों ने कहा कि इस घटना के बाद हॉट स्प्रिंग, गोगरा, गलवान घाटी, डेप्सांस में फिर से पैनी निगाह रखी जा रही है। इन स्थानों पर चीनी सेना हालांकि अब काफी पीछे है। लेकिन पेंगोंग सो की घटना के बाद आशंका व्यक्त की जा रही है कि इन इलाकों में भी चीनी सेना फिर से घुसपैठ कर सकती है।
सूत्रों ने कहा कि समूची चीन सीमा पर सतकर्ता बढ़ाई गई है। इतना ही नहीं उत्तराखंड के संवेदनशील बार्डर पोस्ट पर भी आईटीबीपी और सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है। सूत्रों के अनुसार इस घटना के बाद रविवार को ही पेंगोंस सो इलाके में तैनाती बढ़ाई गई है। सेना वहां किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार है। सीमावर्ती क्षेत्रों में वायुसेना के सभी बेसों को भी सतर्क किया गया है।