सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए कहा कि होटल अपने कर्मचारी या खिदमतगार (वालेट) के जरिए पार्किंग में लगाए गए वाहन के चोरी होने के लिए अपने मेहमान या विजिटर्स को ‘अपने जोखिम पर’ वाले उपनियम की आड़ में मुआवजा देने से इनकार नहीं कर सकते।
क्या कहा कोर्ट ने
कोर्ट ने कहा कि ये साबित करने का दारोमदार होटल पर है कि पार्किंग में खड़े वाहन को हुआ कोई भी नुकसान उसकी लापरवाही से नहीं हुआ। उसने कहा कि होटल में वालेट पार्किंग की सुविधा उस पार्किंग सुविधा के विपरीत है, जिसमें मालिक की जिम्मेदारी होती है कि वो वाहन को खड़ा करने के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढे, उसे सही तरीके से खड़ा करे, लौटे और पार्किंग का टोकन या पर्ची दिखाकर वाहन को ले जाए। न्यायमूर्ति एम एम शांतनागौदर और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा, ‘एक बार जब वाहन होटल कर्मी या वालेट के हाथ में आता है तो उस पर अनुबंधित दायित्व है कि वो मालिक के निर्देश पर वाहन को सुरक्षित हालत में लौटाए।’ पीठ ने कहा, ‘होटल का मालिक अपनी लापरवाही के लिए जिम्मेदारी से नहीं बच सकता।’
क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला उस मामले में आया है, जिसमें फाइव स्टार होटल में गए एक व्यक्ति ने वालेट के जरिए अपने वाहन को खड़ा किया और उसके लौटने पर उसे बताया गया कि उसकी गाड़ी कोई दूसरा व्यक्ति ले गया है। होटल के सुरक्षा कर्मियों से पूछताछ करने पर उसे बताया जाता है कि उसकी कार को तीन लड़के ले गए जो एक अलग कार से होटल में आए थे। वाहन की बीमा कंपनी ने व्यक्ति के साथ बीमा के दावे का निपटारा कर लिया, लेकिन होटल ने कार की कीमत चुकाने से ये कहते हुए इनकार कर दिया कि पार्किंग कूपन पर उपनियम लिखा हुआ है, जिसमें कहा गया है कि ये ‘मालिक का जोखिम’ है।