शिक्षक दिवस यानी टीचर्स डे हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है. हालांकि, इस बार कोरोनावायरस के चलते देशभर के स्कूल बंद ही रहेंगे, इसलिए इस बार स्कूलों में कार्यक्रम नहीं हो सकेंगे. हर किसी की ज़िंदगी में शिक्षक का बहुत महत्व होता है. कहा जाता है कि किसी भी बच्चे के लिए सबसे पहले स्थान पर उसके माता-पिता और फिर दूसरे स्थान पर शिक्षक होता है. शिक्षक एक बच्चे के भविष्य में महत्वपूर्ण योगदान देता है. एक शिक्षक के बिना छात्र का जीवन अधूरा रहता है. शिक्षक दिवस आने में कुछ ही दिन बाकी हैं ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है और इन दिन को मनाने के पीछे क्या महत्व है. 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन का जन्म हुआ था. उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस महान राष्ट्रपति ने कहा कि पूरी दुनिया एक विद्यालय है जहां से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है.
डॉ. राधाकृष्णन का जन्म एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था. कहा जाता है कि राधाकृष्ण के पिता चाहते थे कि उनका बेटा अंग्रेजी ना सीखे और मंदिर का पुजारी बन जाए. राधाकृष्णन अपने पिता की दूसरी संतान थे. उनके चार भाई और एक छोटी बहन थीं. छह बहन-भाइयों और माता-पिता को मिलाकर आठ सदस्यों के इस परिवार की आय बहुत कम थी. एक बार राधा कृष्णन के कुछ शिष्यों ने मिलकर उनका जन्मदिन मनाने का सोचा. इसे लेकर जब वे उनसे अनुमति लेने पहुंचे तो राधाकृष्णन ने कहा कि मेरा जन्मदिन अलग से मनाने की बजाय अगर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा तो मुझे गर्व होगा. इसके बाद से ही 5 सितंबर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। आपको बता दें कि पहली बार शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था.
शिक्षक दिवस को चीन से लेकर, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अल्बानिया, इंडोनेशिया, ईरान, मलयेशिया, ब्राजील और पाकिस्तान तक शामिल हैं. हालांकि हर देश में इस दिवस को मनाने की तारीख अलग-अलग है. जैसे कि- चीन में 10 सितंबर तो अमेरिका में छह मई, ऑस्ट्रेलिया में अक्तूबर के अंतिम शुक्रवार, ब्राजील में 15 अक्तूबर और पाकिस्तान में पांच अक्तूबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है.