सोनाली कुमारी
बिहार के दशरथ मांझी की तरह ही है नवांशहर, पंजाब के 45 वर्षीय सुरेंद्र सिंह । भले ही उन्होंने पहाड़ का सीना चीरकर रास्ता ना बनाया हो, लेकिन कोरोना काल में उन्होने अकेले ही क्षेत्र की सड़कों के गड्ढों को ईंट व पत्थरों से भरकर लोगों की राह जरूर आसान कर दी है । इलाके की सड़कों की हालत बहुत ही खस्ता थी । सड़कों में जगह-जगह गड्ढे पड़ गए थे। यूँ तो हर साल स्थानीय निकाय और लोक निर्माण विभाग बरसात से पहले सड़कों की मरम्मत करवा देते हैं, लेकिन कोरोना संकट के कारण इन विभागों से मरम्मत की उम्मीदें धुंधली पड़ने लगी थी । दूसरे लोगों की तरह इस पर सिर्फ चिंता जाहिर करने के बजाए सुरेंद्र सिंह ने सड़कों की हालत सुधारने में जुट गए।
सुरेंद्र सिंह पेशे से बैग, अटैची व सूटकेस आदि बनाने व उनकी मरम्मत का काम करते हैं। उनके पास एक पुरानी मारुति कार है। कार के पीछे में उन्होंने जुगाड़ से एक छोटी ट्रॉली बनवा रखी है। इस ट्रॉली में वह आस पास से थोड़ा बहुत सामान लाते रहते हैं तथा कार और ट्रॉली के साथ वह कर्फ्यू में सड़कों की हालत सुधारते रहते हैं । उन्होंने भट्ठों से टूटी ईटे लाकर सड़कों के गड्ढे भरना शुरू कर दिया।
सुरेंद्र सिंह ने जिन सड़कों के गड्ढे भरे हैं उन पर 1 साल में 20 से अधिक हादसे हो चुके हैं । यह सड़के गांवों को राहो-मेतेवाड़ा सड़क से जोड़ती हैं । इस पर रोजाना 250 से अधिक छोटे- बड़े वाहन गुजरते हैं। राहों से लुधियाना के लिए यह सबसे छोटा रास्ता है । प्रशासन सुरेंद्र सिंह के जज्बे और सेवा की कद्र करता है। उनका कहना है हम उनके इस कार्य के लिए उन्हें सम्मानित करेंगे।