राजद ने एक बार फिर से माय समीकरण को अपनाया है । चुनाव से पहले बनी नई जिलाध्यक्षो की टीम में एक बार फिर सवर्णो को हाशिये पर रखा गया है । नई टीम की घोषण हो चुकि है । अपने 50 संगठनात्मक जिलों में से पटना को छोड़ 49 जिलाध्यक्षों की सूची भी जारी कर दी गई है । इनमे से 37 जिलाध्यक्ष नए चेहरे हैं । आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की टीम में एकबार फिर आरजेडी ने अपने माय (मुस्लिम और यादव) समीकरण पर विश्वास जताया है । हालांकि आरजेडी की पिछली टीम से इस टीम में इनकी संख्या कम की गई है।
आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की ओर से जारी जिला अध्यक्षों की सूची में 50 जिलों में 37 जिलाध्यक्ष बदल दिए गए हैं। मात्र 12 जिलाध्यक्ष ही अपना पद बरकरार रख पाए हैं। पटना जिलाध्यक्ष की अब तक घोषणा नहीं हुई है।
इस सूची में तीन सवर्ण (दो राजपूत, एक भूमिहार) जातियों से आने वाले नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। सूची में हालांकि किसी ब्राह्मण को शामिल नहीं किया गया है। यादव जाति से आने वाले 13 नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया गया है, जबकि मुस्लिम जिलाध्यक्षों की संख्या 12 है। पूर्व में आरजेडी के 23 जिलाध्यक्ष यादव जाति से थे। जबकि मुस्लिम समाज से आने वाले जिलाध्यक्षों की संख्या पहले की टीम में 17 थी।
आरजेडी द्वारा जारी जिलाध्यक्षों की सूची में 14 जिलों में अति पिछड़े और आठ जिलों में एससी-एसटी वर्ग से आने वाले नेताओं को अध्यक्ष बनाया गया है। पहली बार सभी जिलों में अध्यक्ष को सहयोग करने के लिए प्रधान महासचिव भी बनाए गए हैं।
हालांकि इस माय समीकरण के बाहर इनकी टीम के सूची के विषय में प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा,
“जिलों में सामाजिक समरसता का पूरा ख्याल रखा गया है। पहली बार आरजेडी के जिला संगठन में यादवों और मुस्लिमों की बहुलता को कम करते हुए अन्य वर्गो को जोड़ने का प्रयास किया गया है।”
अब देखना ये मजेदार होगा कि सवर्णो को हाशिये पर रखकर राजद ने जो दांव खेला है वो इस बार के विधानसभा चुनाव में क्या रंग लाती है । क्या इस बार जदयू को पटखनी देने में ये टीम कामयाब हो पाएगी या कुछ ।