राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। रंजन गोगोई पिछले साल 17 नवंबर को रिटायर हुए थे।
अपने रिटायरमेंट से पहले उन्होंने राम मंदिर पर फैसला सुनाया था। राज्यसभा के लिए रंजन गोगोई का नाम मनोनीत किए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि गोगोई को ये इनाम बीजेपी के हक में कई महत्वपूर्ण फ़ैसले सुनाने के लिए मिला है।
बता दें कि रंजन गोगोई ने बतौर सीजेआई अपने 13 महीने के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फ़ैसले सुनाए हैं। जिनमें राम मंदिर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राफेल मामले में क्लीन चिट दिया जाना प्रमुख है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने रंजन गोगोई को राज्यसभा के मनोनीत किए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर ज़ोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ये सरकार द्वारा न्यायपालिका का अपहरण किए जाने जैसा है।
कांग्रेस नेता ने ट्वीट कर लिखा, “पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित करके भाजपा ने स्वतंत्र न्यायपालिका का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी| पहले कानून अँधा होता था अब भाजपा ने उसे राजनीतिक फंदा भी पहना दिया”।
अक्टूबर 2018 को भारत के 46वें चीफ जस्टिस बने गोगोई का कार्यकाल लगभग 13 महीने का रहा था। वह 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए थे। इससे पहले वह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में चीफ़ जस्टिस थे। चीफ़ जस्टिस रहते हुए उनपर कई गंभीर आरोप भी लगे। चीफ़ जस्टिस की जिम्मेदारी संभालने के सात महीने के भीतर ही अप्रैल में जस्टिस गोगोई पर उनकी पूर्व जूनियर असिस्टेंट ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।