मध्य प्रदेश के कॉलेजों में अब छात्रों को रामायण और रामसेतु के बारे में पढ़ाया जाएगा। तुलसीदास की रचित रामचरितमानस को जहां स्नातक के छात्रों को पढ़ाया जाएगा तो वहीं इंजीनियरिंक सिलेबस में रामसेतु को शामिल किया गया है। इसके अलावा मेडिकल स्ट्रीम के छात्रों को हिंदी में पढ़ाई का विकल्प मिलेगा।
राज्य के मेडिकल शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, ‘हम जल्द ही एक कमेटी बनाने जा रहे हैं ताकि मेडिकल कोर्स हिंदी में भी तैयार किए जा सकें। जल्दी ही हम हिंदी में भी मेडिकल की पढ़ाई शुरू करेंगे।’
राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव के मुताबिक, इस संबंध में विभाग की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने कहा कि श्रीरामचरितमानस को पाठ्यक्रम में शामिल करने से आने वाली पीढ़ियों के लिए भी काफी फायदा होगा।
उन्होंने बताया कि व्यावहारिक दर्शन नाम से पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। कला स्नातक (बीए) के फर्स्ट ईयर के वे स्टूडेंट्स, जिन्होंने दर्शनशास्त्र को विषय के रूप में लिया है, इसका अध्ययन कर सकेंगे। हालांकि यह वैकल्पिक होगा।
इसके पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित मध्यप्रदेश में मेडिकल कॉलेजों के एमबीबीएस के प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और जनसंघ के वरिष्ठ नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी शामिल की गई है।