आरटीआइ से पता चला है कि रेलवे ने कोरोना महामारी के कारण इस साल मार्च से 1.78 करोड़ से ज्यादा टिकट रद्द किए और 2727 करोड़ रुपए की रकम वापस की। सूचना का अधिकार (आरटीआइ) के तहत मिले जवाब के मुताबिक इस दौरान रेलवे ने 1,78,70,644 टिकट रद्द किए। रेलवे ने 25 मार्च से ही अपनी यात्री ट्रेन सेवाएं स्थगित कर दी थी। इसी तरह पहली बार रेलवे को टिकट बुकिंग से जितनी आमदनी हुई उससे ज्यादा रकम वापस की गई। वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में यात्री खंड में 1066 करोड़ रुपए राजस्व घट गया।
पिछले साल एक अप्रैल से 11 अगस्त के बीच रेलवे ने 3,660.08 करोड़ रुपए वापस किए थे और समान अवधि में 17,309.1 करोड़ रुपए का राजस्व आया। ऐसा पहली बार हुआ है जब रेलवे को टिकट बेचने से जितनी आय हुई, उससे ज्यादा उसने रकम वापस किया है। एक अधिकारी ने इस बारे में बताया कि सेवाओं के स्थगित होने के कारण अप्रैल, मई और जून के लिए बुक टिकट की राशि वापस की गई जबकि इन तीन महीनों के दौरान कम टिकट बुक हुए थे और इस दौरान पाबंदी भी लगी हुई थी।
इस वित्तीय वर्ष के पहले तीन महीने में रेलवे ने अपनी सभी नियमित यात्री सेवाओं को स्थगित कर दिया। इस दौरान रेलवे का अप्रैल में 531.12 करोड़ रुपए, मई में 145.24 करोड़ रुपए और जून में 390.6 करोड़ रुपये का राजस्व घट गया। वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में रेलवे को अप्रैल में 4,345 करोड़ रुपए, मई में 4,463 करोड़ रुपए और जून में 4,589 करोड़ रुपए की आय हुई थी।
मध्य प्रदेश के चंद्रशेखर गौड़ द्वारा दाखिल आरटीआई के जवाब में रेलवे ने कहा कि कोविड-19 के कारण बंद ट्रेनों के टिकट रद्द करने के लिए कोई शुल्क नहीं काटा गया। सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के मुताबिक रेलवे ने 2019-20 में एक करोड़ से ज्यादा यात्री बेटिकट यात्रा करते पकड़े थे और इन यात्रियों पर लगाए गए जुर्माने से रेलवे को 561.73 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था। रेलवे ने 2016-2020 के बीच बेटिकट यात्रियों पर लगाए गए जुर्माने से 1,938 करोड़ रुपए की कमाई की। यह 2016 से 38.57 फीसद अधिक है।
रेलवे ने 2016-17 में बेटिकट यात्रियों से जुर्माने के रूप में 405.30 करोड़ रुपए, 2017-18 में 441.62 करोड़ रुपए और वर्ष 2018-19 में 530.06 करोड़ रुपए कमाए। वर्ष 2019-2020 में एक करोड़ दस लाख यात्री बेटिकट यात्रा करते पकड़े गए। भारतीय रेलवे ने बेटिकट यात्रा करने पर रोक लगाने के लिए नियम बनाए हैं।
बेटिकट यात्री को टिकट की लागत के साथ न्यूनतम 250 रुपए का जुर्माना देना होता है। यदि कोई यात्री जुर्माना देने से इनकार करता है, तो उस व्यक्ति को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ)को सौंप दिया जाता है और उसके खिलाफ रेलवे अधिनियम की धारा 137 के तहत मामला दर्ज किया जाता है।
इसके बाद व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाता है। मजिस्ट्रेट उस पर एक हजार रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है। यदि व्यक्ति अभी भी जुर्माना देने से इनकार करता है तो उसे छह महीने तक की जेल हो सकती है।