कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 8 मई प्रेस कॉन्फ्रंस की. वीडियो कॉलिंग ऐप ज़ूम के ज़रिये वो मीडिया कर्मियों से जुड़े. राहुल ने कहा कि देश की इकॉनमी को पटरी पर लाने के लिए सबसे पहले लोगों के मन में कोरोना वायरस को लेकर बैठा डर दूर करना चाहिए. तभी वो सामान्य जीवन की तरफ लौटेंगे और तभी अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर आएगी.
राहुल ने कहा,
“सरकार को लोगों तक ये बात पहुंचानी होगी कि कोविड-19 सबके लिए जानलेवा नहीं है. ये सिर्फ एक से दो फीसदी लोगों के लिए जानलेवा है. जिनको डायबिटीज़ है, लंग्स की दिक्कत है, इम्युनिटी कमज़ोर है, उनके लिए जानलेवा है. बाकी लोगों को यकीनन ऐहतियात बरतने की ज़रूरत है, लेकिन उनकी जान नहीं जाने वाली है. जब तक ये बात लोगों तक नहीं पहुंचेगी, तब तक आप लॉकडाउन हटा लें, फिर भी लोग घरों से नहीं निकलने वाले.”
I am now addressing a video press conference taking LIVE questions on Covid19 and the economic crisis we find ourselves in. Please join me right now, LIVE at:https://t.co/4WBysS69uG
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 8, 2020
रेड, ऑरेंज, ग्रीन ज़ोन पर ये बोले..
राहुल ने कहा,
“मैं समझता हूं कि प्रधानमंत्री जी का अपना काम करने का तरीका है. लेकिन इस समय लीडरशिप को डी-सेंट्रलाइज़ करने की ज़रूरत है. हमें एक मज़बूत लीडर की नहीं, बल्कि कई सारे मज़बूत मुख्यमंत्री, कई मज़बूत कलेक्टर्स की ज़रूरत है. छोटे से छोटे लेवल पर ही इंफेक्शन को रोकना होगा.”
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए राहुल ने कहा,
“केंद्र सरकार ने रेड, ग्रीन और ऑरेंज़ ज़ोन को अपने स्तर पर तय कर दिया. लेकिन अब राज्यों से इनपुट आ रहे हैं कि जिसे रेड ज़ोन बनाया गया है, वो असल में ग्रीन है. जिसे ग्रीन ज़ोन बनाया गया है, वो असल में रेड ज़ोन है. असल में ज़ोन तय करने का अधिकार राज्यों और डीएम के पास होना चाहिए.”
इसके अलावा राहुल ने क्या-क्या बोला –
– सरकार को 17 मई के बाद लॉकडाउन खोलने की योजना तैयार करनी होगी. लॉकडाउन कोई परमानेंट सॉल्यूशन नहीं है.
– कांग्रेस की न्याय योजना के आइडिया को सरकार को स्वीकार करना चाहिए. भले वो इसका नाम बदलकर कुछ और कर लें. लेकिन गरीब किसानों के खाते में सीधे पैसा डालना चाहिए. इसमें ज़्यादा खर्च भी नहीं है. करीब 65 हजार करोड़ का खर्च है.
– सरकार सिर्फ MSME पर ध्यान देकर बिग बिज़नेस को छोड़ नहीं सकती. दोनों आपस में जुड़े हुए हैं.
– आरोग्य सेतु ऐप को ओपन सोर्स करना चाहिए. सिंगापुर में भी सरकारी ऐप है, लेकिन वो ओपन सोर्स है. भारत सरकार भी यही करे.
– सरकार सोच रही है कि अगर तेजी से पैसा खर्च करना शुरू कर देंगे, तो रुपए की हालत खराब हो जाएगी. लेकिन इस वक्त रिस्क तो लेना ही होगा. लोगों के हाथ में पैसा पहुंचाना, मौके पैदा करना ज़रूरी है.
– ये लड़ाई लंबी है, जो पीएमओ से नहीं लड़ी जा सकती. ज़िलों को इसमें शामिल करना होगा.
राहुल इससे पहले 7 मई को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले थे, लेकिन विशाखापटनम में हुए गैस कांड के बाद इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया था.