दुनिया भर में दहशत फैलाने वाला कोरोना वायरस अब भारत में पैर पसारता जा रहा रहा है। कोरोना की दहशत के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार रात राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में जनता कर्फ्यू की बात कही थी। उन्होंने देशवासियों से रविवार को जनता कर्फ्यू लगाने की अपील की। हालांकि, इसे लेकर दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाओं का रुख अलग है।
प्रदर्शनकारी महिलाएं रविवार को भी अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगी, जबकि पीएम मोदी ने जनता कर्फ्यू के तहत लोगों को अपने घरों में रहने की सलाद दी थी। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरा के बीच भी शाहीन बाग में महिलाओं का प्रदर्शन लगातार जारी है। वो अपनी मांग को लेकर पिछले साल 16 दिसंबर से प्रदर्शन कर रही हैं।
कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए दिल्ली सरकार ने शॉपिंग मॉल, मल्टीप्लेक्स, स्कूल-कॉलेज को 31 मार्च तक बंद करने के आदेश दिए हैं। वहीं, साप्ताहिक बाजारों पर रोक लगाने के अलावा दिल्ली में कहीं भी 50 से ज्यादा लोगों की भीड़ जमा होने से मना किया गया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि ये शाहीन बाग पर भी लागू होता है।
खाटों के बीच तीन मीटर की दूरी
वहीं, दिल्ली पुलिस ने भी शाहीन बाग जाकर कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए प्रदर्शन समाप्त करने की अपील की थी। इन सबके बीच 15 दिसंबर से शाहीन बाग में महिलाएं अपनी मांग को लेकर धरना स्थल पर डटी हुई हैं।
हालांकि, पीएम मोदी की जनता कर्फ्यू लगाने की अपील को लेकर शाहीन बाग की एक प्रदर्शनकारी ने कहा, रविवार को हम छोटे-छोटे टेंट के नीचे धरना पर बैठेंगे। हर टेंट के नीचे केवल दो महिलाएं बैठेंगी और उनके बीच एक मीटर से ज्यादा दूरी बनाए रखेंगी।
एक अन्य प्रोटेस्टर ने कहा कि महिला हर सावधानी बरत रही हैं और वे हर समय बुर्के में ढकी रहती हैं। उन्होंने कहा कि हम दिन में पांच बार नमाज अदा करते हैं और हर बार हाथ धोते हैं।
एक अन्य प्रोटेस्टर ऋतु कौशिश ने कहा, 70 साल से ज्यादा आयु की महिलाएं और 10 साल से कम उम्र के बच्चे को धरना वाली जगह पर आने की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि महिलाएं गद्दे पर नहीं बैठी हैं। चारपाई रखी गई है और दो-दो खाटों के बीच न्यूनतम तीन मीटर की दूरी है। एक खाट पर दो से अधिक महिलाएं नहीं बैठ सकती।
वहीं, शाहीन बाग प्रदर्शन के प्रमुख आयोजकों में से एक तासीर अहमद ने कहा कि सैनिटाइजर और मास्क की व्यवस्था पर्याप्त संख्या में किए गए हैं और धरना स्थल को नियमित रूप से कीटाणुरहित किया जा रहा।