कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने के लिए देश को लॉकडाउन के एक और चरण से गुजरना पड़ सकता है। स्वास्थ्य, प्रबंधन, लॉजिस्टिक्स और फाइनेंस से जुड़े विशेषज्ञो की एक समिति ने मई में दूसरे लॉकडाउन की सिफारिश की है। प्रधानमंत्री की और से देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा से कुछ दिन पहले 17 मार्च को यह रिपोर्ट तैयार की गई थी। इसमें 20 मार्च से 12 अप्रैल के बीच देश में लॉकडाउन के पहले चरण की सिफारिश की गई थी। देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है। इस रिपोर्ट में 17 अप्रैल से बंदिशें कम करने के बाद 18 से 31 मई तक दोबारा लॉकडाउन की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उसके बाद ही हालात सामान्य होने शुरू होंगे।
केंद्र लॉकडाउन जैसा सख्त कदम नहीं उठाता तो भारत में कोरोना संकट भयावह हाे सकता था। सितंबर तक करीब 90 करोड़ लोग काेराेना प्रभावित हो सकते थे, मौतो का आंकडा 42 लाख तक पहुंच सकता था। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के शोधार्थियों ने अध्ययन में यह दावा किया है। इसके अनुसार मौजूदा लॉकडाउन काफी नहीं है।
तीसरी स्थिति यह है कि 25 मार्च के लॉकडाउन को बढ़ाकर 13 मई तक कर दिया जाए। ऐसे में इस दिन कुल मरीज 1546 होंगे, जबकि सक्रिय 10 मरीज ही होंगे। कोरोना प्रभावित कई देशों के आंकड़ों का अध्ययन कर शोधार्थी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। 15 अप्रैल तक बंदी का पूरी तरह पालन किया तो इस दिन भारत में सक्रिय मरीजों की संख्या 113 होगी, जबकि कुल मरीज 1465 होंगे। इसके बाद लॉकडाउन 21 दिनों के लिए खोला, ताे 6 मई को सक्रिय मरीज 2731 होंगे, जबकि कुल मरीज 6458 होंगे।
देश को 13 मई तक लॉकडाउन किया जाए ताे मरीजों की संख्या 10 तक रह जाएगी। कैम्ब्रिज के सेंटर फॉर मैथेमैटिकल साइंसेज के शोधार्थी राजेश सिंह व आर अधिकारी ने कहा कि 25 मार्च को लॉकडाउन नहीं हाेता ताे हालात काफी भयावह होते।