पटना । बिहार के 80 फीसद से अधिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य या प्रधान अध्यापक नहीं हैं। नीति आयोग की ओर से जारी पहले विद्यालय शिक्षा गुणवत्ता सूचक (एसईक्यूआइ) के मुताबिक 2016-17 में सिर्फ 19.50 फीसद विद्यालयों में ही प्रधानाचार्य या प्रधान अध्यापक तैनात थे। इस मामले में सबसे बेहतर राज्य गुजरात और सबसे ऊपर केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी रहा। एसईक्यूआइ के अनुसार गुजरात के 87.10 फीसद और पुडुचेरी में 87.70 फीसद विद्यालयों में प्रधानाचार्य तैनात थे।
एसईक्यूआइ को तैयार करने में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्व वैंक का भी सहयोग लिया गया है। सर्व शिक्षा अभियान के मुताबिक उच्च माध्यमिक विद्यालयों में एक प्रधानाचार्य या प्रधान अध्यापक का पद स्वीकृत होता है। वहीं, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अनुसार सभी माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में एक प्रधानाचार्य या प्रधान अध्यापक और उपप्रधानाचार्य या सहायक प्रधान अध्यापक नियुक्त करना अनिवार्य है।
एसईक्यूआइ के मुताबिक बड़े राज्यों में झारखंड के 23.90 फीसद, तेलंगाना के 35.30 फीसद, मध्य प्रदेश के 38.90 फीसद, ओडीशा के 48.80 फीसद, कर्नाटक के 51.30 फीसद, महाराष्ट्र के 54.20 फीसद, जम्मू कश्मीर के 55.60 फीसद, छत्तीसगढ़ के 56.10 फीसद, पंजाब के 58.30 फीसद, उत्तराखंड के 60.20 फीसद, हरियाणा के 63 फीसद, उत्तर प्रदेश के 67.40 फीसद हिमाचल प्रदेश के 68 फीसद, राजस्थान के 68.60 फीसद, असम के 74.50 फीसद, तमिलनाडु के 84.60 फीसद, केरल के 85.40 फीसद और गुजरात के 87.10 फीसद विद्यालयों में प्रधानाचार्य या प्रधान अध्यापक तैनात थे।
इसी तरह यदि छोटे राज्यों की बात करें तो अरुणाचल प्रदेश के 74.50 फीसद विद्यालयों में प्रधानाचार्य या प्रधान अध्यापक तैनात नहीं थे। वहीं, यदि छोटे राज्यों में औसत की बात करें तो यहां के 64.60 फीसद विद्यालयों में प्रधानाचार्य या प्रधान अध्यापक तैनात थे।