दिल्ली हाई कोर्ट के सामने पेश किए गए दस्तावेजों से सामने आया कि चीन से खरीदी गई रैपिड कोरोना टेस्ट-किट में बिचौलियों ने 61 फीसद मुनाफा कमाया। दस्तावेजों के अनुसार इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) द्वारा दिए गए 30 करोड़ रुपये के ऑर्डर में से 18.7 करोड़ रुपये बिचौलिए का शेयर था।
मुनाफे का शेयर चीन से किट का आयात करने वाली मैट्रिक्स लैब और भारत में इसका वितरण करने वाली रेयर मेटाबोलिक्स के बीच बंटा। याचिका पर सुनवाई करते हुए 26 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि टेस्ट किट 400 रुपये से अधिक मूल्य पर नहीं बेची जानी चाहिए। रेयर मेटाबोलिक्स लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड और ऑर्क फार्मास्यूटिकल्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया था। जिन्होंने किट के आयातक मैट्रिक्स लैब से भारत में इसे वितरित करने के लिए समझौता किया था।
याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर कर मैट्रिक्स से 7.24 लाख कोरोना टेस्ट किट जारी करने की मांग की। पीठ को बताया गया था कि 7.24 लाख किटों में से पांच लाख किट आर्क द्वारा आइसीएमआर को दिए जाने थे। पांच लाख किट में से आइसीएमआर को 2.76 लाख पहले ही डिलीवर किए जा चुके हैं और अब मैट्रिक्स ने कहा है शेष 2.24 लाख किट भारत को तब तक नहीं देगी जब तक उसे पूरा भुगतान नहीं किया जाता।
याचिकाकर्ता कंपनियों ने पीठ को बताया कि मैट्रिक्स के साथ समझौते के अनुसार पांच लाख टेस्ट किट आयात करने के लिए 600 रुपये प्रति किट के हिसाब से 12.75 करोड़ रुपये का प्रारंभिक भुगतान किया जा चुका है और शेष भुगतान आइसीएमआर से धनराशि मिलने के बाद किया जाएगा।