अगर आप बिहारी हैं और झारखंड में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, तो ये खबर आपके लिये है । वहा के हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए ऐलान किया कि आरक्षण का लाभ सिर्फ और सिर्फ झारखंड के छात्रों को मिलेगा । यानी बिहार के वैसे अभ्यर्थी जो झारखंड की सरकारी नौकरियों में आरक्षण का फायदा उठाना चाहते हैं उन्हें अब ये लाभ नहीं मिलेगा। हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट की बड़ी बेंच की दो जजों ने इस संबंध में सोमवार को अपना फैसला दिया। दरअसल बिहार के रहने वाले रंजीत कुमार ने झारखंड पुलिस बहाली में आरक्षण का लाभ मांगा था।
अब हाई कोर्ट के फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि बिहारियों को झारखंड में आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलेगा। झारखंड हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद बिहारियों में खलबली मच गई है। बिहार से वर्ष 2000 में अलग होकर बने नए झारखंड राज्य में आज भी बड़ी आबादी आबादी बिहारियों की है। ऐसे में हाई कोर्ट के इस फैसले से बड़े पैमाने पर बिहारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दरअसल इस मामले की सुनवाई पर फैसला पिछले साल अक्टूबर में सुरक्षित रख लिया गया था। झारखंड उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एचसी मिश्र एवं अपरेश कुमार सिंह तथा बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था। याचिकाकर्ता ने ये दलील थी कि एकीकृत बिहार, वर्तमान बिहार और मौजूदा झारखंड में उनकी जाति अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में शामिल है। इसलिए वर्तमान झारखंड में उन्हें एससी और ओबीसी के रूप में आरक्षण मिलना चाहिए।
याचिककर्ता ने ये भी दलील थी कि पिछले कई सालों से वह झारखंड क्षेत्र में रह रहे हैं। नये राज्य झारखंड के निर्माण के बाद 15 नवंबर 2000 से वह लगातार झारखंड में हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ इसलिए उन्हें आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है कि वह बिहार के स्थाई निवासी हैं। सरकार की ओर से इस दलील का विरोध किया गया था और कहा गया था कि झारखंड के स्थाई निवासी को ही राज्य की आरक्षण नीति के तहत लाभ दिया जा सकता है। दूसरे राज्यों के लोगों को उस राज्य की आरक्षण नीति का लाभ सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ही दिया जा सकता है।