अमीर लोगों के लिए पैसा निवेश करने का पसंदीदा विकल्प है दूसरा घर खरीदना, लेकिन इसे वे अपने आयकर के ब्योरे (income tax declaration) में नहीं दिखाना चाहते। टैक्स रिटर्न के आंकड़ों में यह बात सामने आई है कि भारत का हाउसिंग बाजार कितना अपारदर्शी है, जहां सिर्फ 6,537 लोगों ने यह घोषणा की है कि उनके पास एक से ज्यादा Self occupied घर हैं, जिसमें वे रहते हैं।
वित्त मंत्रालय के उच्च पदस्थ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इंडिया टुडे से कहा, ‘टैक्स रिसर्च यूनिट (TRU) के आंकड़े दिखाते हैं कि आंकलन वर्ष 2017-18 में दो या दो से अधिक घरों में रहने वालों की संख्या केवल 6,537 है।’
कितने लोगों के पास है घर
उक्त अधिकारी का कहना है कि आकलन वर्ष 2017-18 में 4।94 करोड़ लोगों ने रिटर्न फाइल किया। इसके विश्लेषण से पता चलता है कि एक चौथाई (1।14 करोड़) लोगों ने अपनी आवासीय संपत्ति से उन्हें होने वाली आय की घोषणा की है। इन करदाताओं में से 90 फीसदी के पास सिर्फ एक घर है। इनमें से 65 फीसदी ने सूचना दी है कि उनकी आवासीय संपत्ति पर उनका खुद का कब्जा है, यानी वे खुद इसका इस्तेमाल करते हैं। जिन लोगों ने यह स्वीकार किया कि उनके पास रहने के लिए एक से ज्यादा घर हैं, उनकी संख्या सिर्फ 6,537 है।
आयकर अधिकारी का कहना है कि लोग आयकर विभाग से अपने घरों की वास्तविक संख्या छुपाते हैं। उनका कहना है कि ”मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि पिछले कुछ सालों में राष्ट्रीय स्तर पर जितने लोगों ने एक से ज्यादा घर होने की घोषणा की है, उससे ज्यादा सिर्फ गुरुग्राम में हैं।’
ज्यादा है यह संख्या
रीयल एस्टेट एक्सचेंज फर्म Qubrex के एमडी संजय शर्मा ने इंडिया टुडे से कहा, ‘हमारे एजेंट्स के सीमित नेटवर्क और गुरुग्राम के रीयल एस्टेट मार्केट में 15 साल के अनुभव के आधार पर हमारा अनुमान है कि सिर्फ गुरुग्राम में कम से कम 5000 लोग ऐसे हैं जिनके पास दो या इससे ज्यादा घर हैं।’
रिपोर्ट क्यों नहीं होते ऐसे मामले
पिछले साल तक नियम था कि अगर आपके पास एक से ज्यादा आवासीय मकान हैं तो आपको संभावित किराये की आय के लिए टैक्स देना पड़ता था। उस समय के नियमों के मुताबिक, अगर एक आदमी के पास एक से ज्यादा आवासीय घर हैं तो आपके पास विकल्प था कि किसी एक घर को आप अपने रहने के लिए घोषित करें और दूसरे घर के बारे में यह माना जाता था कि आप इसे किराये पर देने के लिए इस्तेमाल करेंगे और उस संभावित आय पर कुछ कटौती के बाद आपको टैक्स देना होता था।