भारत में संसद द्वारा पास किए गए नागरिकता संशोधन बिल पर पाकिस्तान में चौंकाने वाली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। एक ओर पाकिस्तान सरकार, पार्टियों के नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता इस कानून को मानवाधिकार का उल्लंघन और गलत बता रहे हैं, तो दूसरी ओर हिंदू अल्पसंख्यकों ने इस पर खुशी और चिंता भी जताई है। यहां रह रहे बड़ी संख्या में हिंदुओं ने नाम न लिखने की शर्त पर बातें की हैं। कई हिंदू बिल को लेकर दुविधा में हैं। उमरकोट के सोना कारोबारी मोहनदास ने बिल पर डर भरे लहजे में जवाब दिया। मोहन कहते हैं कि हमें नहीं पता कि सरकार और बहुसंख्यक मुस्लिम इस बिल को किस तरह लेगी। हम यहां हमेशा से मुस्लिम समुदाय के साथ रहे हैं। वे हमें हमेशा से पाकिस्तान जाने की सलाह देते रहते हैं। अब इस बिल के बाद मुस्लिम लोग हम हिंदुओं को भारत जाने की मांग और तेज कर सकते हैं। ऐसे सिर्फ मोहन दास नहीं हैं, बल्कि सैकड़ों हिंदू अल्पसंख्यक हैं, जो रोजना ऐसी बातों का सामना करते हैं। खतरा है। सांसद रमेश कुमार वांकवानी ने सोमवार को संसद में बताया कि हर साल 5 हजार हिंदू पाक छोड़कर भारत जा रहे हैं। देश में हिंदू आबादी 36 लाख बची है, यह कुल आबादी की महज 1.6% है। 2018 की जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान की कुल आबादी 21 करोड़ है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक-2019 को पेश किया। सदन में इस पर 6 घंटे बहस हुई। शाह ने कहा कि झूठ फैलाया जा रहा है कि बिल मुस्लिमों के खिलाफ है। आप क्या चाहते हैं कि पूरी दुनिया से जो मुस्लिम आएं, उन्हें नागरिकता दे दें। भारत के अल्पसंख्यकों और मुस्लिमों को किसी को भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। जिनका वीसा खत्म हो जाता है, उन्हें अवैध प्रवासी माना जाता है। हमने इस बात को बिल में शामिल किया है। धार्मिक आधार पर प्रताड़ितों को भी नागरिकता मिलेगी। ये नागरिकता देने का बिल है, नागरिकता लेने का नहीं। भ्रामक प्रचार में मत आइए। इस बिल का भारत के मुसलमानों की नागरिकता से कोई संबंध नहीं है। मुझे आइडिया ऑफ इंडिया की बात मत बताइए। मैं भी यहीं पैदा हुआ हूं, मेरी सात पुश्तें यहीं पैदा हुई हैं। मुझे इसका अंदाजा है। मोदी सरकार संविधान पर भरोसा रखती है। मैं भरोसा दिलाता हूं कि यह देश कभी मुस्लिम मुक्त नहीं होगा।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने जवाब में कहा कि बिल को लेकर सरकार राज हठ छोड़कर गांधीजी के चश्मे से देखे। बिल की स्क्रूटनी जरूरी है। आपने कहा कि यह ऐतिहासिक होगा, पर इतिहास इसे कैसे देखेगा? सरकार जल्दबाजी में है। हम विरोध करते हैं। वजह- राजनीतिक नहीं, संवैधानिक और नैतिक है। बिल लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है।