“द हिन्दू” के पहले और दूसरे पेज पर अनुज कुमार की बाइलाइन ख़बर छपी है। हिंदी अनुवाद प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूँ। प्रसिद्ध कत्थक मंजरी चतुर्वेदी बीते 15 जनवरी को उत्तर प्रदेश सरकार के कार्यक्रम में प्रस्तुति दी रही थी। यह आयोजन लखनऊ होटल में हो रहा था। तीन दिवसीय सरकारी कार्यक्रम में चतुर्वेदी के 45 मिनट के उस कार्यक्रम का नाम “इश्क़ का रंग” था। जहाँ पर सरकार के आला मंत्री और अधिकारी मौजूद थे।
जिसमें उन्हें विभिन्न गीतों पर कत्थक नृत्य करना था। जैसे ही तीसरे गीत पर प्रस्तुति देने के लिए मंजरी चतुर्वेदी मंच पर आयी और लगभग गीत आधा बज चुका था तभी कुख्यात उत्तर प्रदेश सरकार के तीन ऑफिसर आये। गाने को बीच में टोका और रोक दिया। ऑफिसर ने मंजरी चतुर्वेदी से कहा कि यहां कौव्वाली नहीं चलेगी। मंजरी उस समय नुसरत फतेह अली खान की प्रसिद्ध कौव्वाली “ऐसा बनना संवारना मुबारक तुम्हें, कम से कम इतना कहना हमारा करम”.
जिसपर गौहर जान जैसे नृत्यांगना अपनी प्रस्तुति दी चुकी है। बहरहाल,मंच पर मौजूद एंकर ने मंजरी से कहा कि आप अगले गाने पर परफॉर्म कीजिये। तब उन्होंने मंच के पोडियम पर जाकर कहा कि हम जहां पैदा हुए वह स्थान गंगा यमुनी तहज़ीब को परिभाषित करने वाली जगह है। कौव्वाली नामक गायन प्रणाली का जन्म भी भारत में ही हुआ है। कत्थक नृत्य का भी अविष्कार उत्तर भारत में हुआ है। यह राधाकृष्ण के प्रेम को दर्शाने वाली नृत्य कला है।
नुसरत फतेह अली साहब का गाया गीत शृंगार रस की वह दृश्य है जिसमें किसी महिला की सुंदरता को बखान करने की एक अलग तरीका है। मंजरी ने मंच से आगे कहा कि इस गीत पर 32 से अधिक मुल्कों में परफॉर्मेंस करने का मौका मिला मगर ऐसा खराब व्यवहार किसी जगह नहीं हुआ। मंच से ही मंजरी चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि एक नागरिक और कलाकार के तौर पर ऐसे विभाजनकारी तत्वों से हम मुकाबला करेंगे और डटे रहेंगे। इस घटना के मीडिया में आने के बाद सरकार के हाथ पांव फूलने लगे।
डैमेज कंट्रोल के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी मंजरी चतुर्वेदी को मनाने पहुँचे। और मीडिया को बताया कि 27 जनवरी उत्तर प्रदेश दिवस पर स्वाति जी कार्यक्रम होगा जहां मुख्यमंत्री भी मौजूद रहेंगे। इसके अलावा उस अधिकारी ने आयोजक पर करवाई करने का आश्वासन दिया है।
आशुतोष कुमार पांडे, आरा