अब महिला भी एनडीए की परीक्षा देकर सेना के उच्च पद पर पदासीन हो सकती है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने रास्ता खोल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए महिलाओं को एनडीए की परीक्षा में शामिल करने के लिए सेना को निर्देश दिये हैं। सुनवाई के दौरान सेना ने कहा कि एनडीए परीक्षा में महिलाओं को शामिल नहीं करना, यह सेना का पॉलिसी डिसीजन है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सेना को फटकरा लगाते हुए कहा कि आपका डिसीजन पॉलिसी पक्षपात है और महिलाओं के महिलाओं के मूलभूत अधिकारों का हनन करता है।
इससे पहले केस की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि महिलाओं को एनडीए परीक्षा में मौका नहीं देना, उनके मूलभूत अधिकारों के हनन का मामला नहीं है। यही नहीं केंद्र सरकार ने कहा था कि एनडीए के जरिए आने वाले पुरुष कर्मचारियों को उनके मुकाबले करियर में कोई स्पेशल बढ़त नहीं मिलती। महिलाओं के लिए सेना में एंट्री का एकमात्र रास्ता शॉर्ट सर्विस कमिशन ही रहा है।
बता दें कि बीते दिनों ही शीर्ष अदालत ने सेना से महिलाओं को भी परमानेंट कमीशन में लिए जाने को कहा था। यही नहीं अदालत ने सेना के नियमों को गलत करार देते हुए कहा था कि ये बेतुके और मनमाने हैं। दरअसल वकील कुश कालरा की ओर से महिलाओं को एनडीए और इंडियन नेवल अकादमी में शामिल किए जाने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की गई थी। उस याचिका पर सुनवाई करते हुए ही सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया है।
फिलहाल इन दोनों अकादमियों में महिलाओं की भर्ती नहीं की जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस अर्जी पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। इस पर सरकार का कहना था कि यह अर्जी आम जनहित में नहीं है, बल्कि एक पॉलिसी डिसिजन को लेकर ही है। इसी पर बुधवार को एक बार फिर से सुनवाई शुरू हुई, जिसमें जस्टिस संजय किशन कौल और ऋषिकेश रॉय ने महिलाओं के पक्ष में यह फैसला दिया है।