दिल्ली की सड़़कों पर मेट्रो दोड़ेगी । जी हाँ, अभी तक आपने मेट्रो को जमीन के अंदर या पिलर पर चलते देखा होगा । लेकिन इस बार कुछ अलग होगा । मेट्रो जैसी दिखने वाली ये ट्रेन सड़को पर चलेगी । इन्हें मेट्रो लाइट ट्रेन कहा जाएगा। दिखने में मेट्रो ट्रेनों जैसी होंगी, और चलेंगी लो-फ्लोर बसों की तरह। इनके स्टेशन भी बस स्टॉप की तरह ही होंगे। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन यानी DMRC इसकी तैयारी में जुट गई है। कहा जा रहा है कि ये सामान्य मेट्रो लाइन से आधे खर्च में यह बन जाएगा।
क्या है प्लानिंग?
DMRC ने अभी दो मेट्रो लाइट कॉरिडोर बनाने की प्लानिंग की है। पहला- कीर्ति नगर से द्वारका सेक्टर 25 के बीच लगभग 19 किलोमीटर और दूसरा- नरेला से रिठाला तक लगभग 22 किलोमीटर का। DMRC ने कीर्ति नगर- द्वारका कॉरिडोर के लिए टेंडर भी जारी कर दिया है। DMRC ने 29 मेट्रो लाइट ट्रेनों का टेंडर जारी किया गया है। ये प्रोजेक्ट करीब साढ़े पांच हजार करोड़ का होगा।
लाइट मेट्रो और सामान्य मेट्रो में अंतर
- मेट्रो लाइट या लाइट मेट्रो के निर्माण की लागत सामान्य मेट्रो से 40-50 फीसदी कम है। इसे चलाने में भी कम खर्च आएगा।
- लाइट मेट्रो के लिए सामान्य मेट्रो की तुलना में कम जमीन लगेगी, इसका सीधा असर लागत पर दिखेगा।
- सामान्य मेट्रो के लिए अलग से स्टेशन होते हैं, उनके मेंटेनेंस पर खासा खर्च होता है। वहीं लाइट मेट्रो में बस स्टॉप जैसी व्यवस्था होती है, जिसके रख रखाव में कम खर्च आता है।
सात कोच वाली होगी मेट्रो लाइट ट्रेन
हर ट्रेन में सात AC कोच होंगें। ट्रेन की लंबाई 45 मीटर होगी। प्लेटफार्म 50 मीटर का होगा। इनमें ऑटोमेटिक दरवाजे, इमरजेंसी अलार्म बटन, एनाउंसमेंट सिस्टम और आने वाले स्टेशनों की जानकारी देने व अन्य निर्देश देने के लिए डिस्प्ले पैनल लगे होंगे। मेट्रो लाइट की ऑपरेशनल स्पीड 60 किलोमीटर प्रतिघंटे की होगी।
बस की तरह फ्रंट फेसिंग सीटें होंगी
इन ट्रेनों का सीटिंग अरेंजमेंट मेट्रो से थोड़ा अलग होगी। मेट्रो में आप केवल कोच के दोनों ओर साइड में ही बैठ पाते हैं लेकिन लाइट मेट्रो में बस या चेयरकार की तरह कुर्सियां लगी होंगी। हर ट्रेन में 425 लोग एक साथ यात्रा कर सकेंगे। इनका फ्लोर जमीन से एक फीट ऊंचा होगा। यह बसों के फ्लोर की तरह होगा। स्टेशनों के प्लेटफार्म की हाइट भी कम रहेगी।
सड़क पर चलेगी
प्लान के मुताबिक, मेट्रो लाइट जमीन पर चलेंगी। जरूरत पड़ने पर कुछ जगहों पर कॉरिडोर को अंडर ग्राउंड या एलिवेटेड रखा जाएगा। खास बात ये कि मेट्रो लाइट कॉरिडोर के होने से सड़क पर दूसरी गाड़ियों के परिचालन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इनमें अनमैन्ड ट्रेन ऑपरेशन सिस्टम या ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन सिस्टम नहीं होगा। इसलिए इन ट्रेनों को मैनुअल तरीके से ही चलाया जाएगा।