सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालयन (MORTH) ने वाहनों में टायरों में हवा के दवाब की निगरानी प्रणाली (TPMS) से संबंधी दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। मंत्रालयन ने एक बयान में कहा है कि सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स नियमों में संशोधन किया है। इसके तहत अधिकतम 3.5 टन वजन तक के वाहनों के लिए टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम का सुझाव दिया गया है। यह गतिमान वाहनों में टायर में हवा के दबाव की निगरानी करता है और चालक को सूचना पहुंचाता रहता है। इससे सड़क सुरक्षा में बढ़ोतरी होती है।
मंत्रालयन ने टायर मरम्मत किट की भी अनुशंसा की है। इसमें टायर पंक्चर होने की स्थिति में रिपेयर किट का प्रावधान किया गया है। ऐसे में जिन वाहनों में रिपेयर किट उपलब्ध होगा, उनके लिए वाहनों में अतिरिक्त टायर या स्टेपनी रखने की जरूरत खत्म हो गई है। भले ही नया नियम सभी प्रकार के वाहनों पर लागू होता है, लेकिन इलेक्ट्रिक कारों को अधिक बैटरी देने और ड्राइविंग रेंज को बढ़ाने के लिए अधिक स्थान देने के लिए इस नियम को लाया गया है।
नए संशोधन के अनुसार, ट्यूबलेस टायर्स वाली कोई भी कार जो अधिकतम 8 लोगों को सीट दे सकती है और टायर प्रेशर मॉनिटरिंग या टायर रिपेयर किट स्पेयर से सुसज्जित है, उनमें स्पेयर टायर (स्टेपनी) नहीं दिया जाएगा। सरकार के इस नए कदम से भविष्य में इलेक्ट्रिक कारों की श्रेणी में वृद्धि देखी जाएगी। भारत सरकार पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इसमें ई-कारों की रेंज को लेकर चिंता सभी इलेक्ट्रिक कार खरीदारों में सबसे आम रहती है और इस नए कानून के तहत कारों में रेंज बढ़ने की संभावना है।
बता दें, भारतीय बाजार में फैक्ट्री-फिटेड टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम (TPMS) की पेशकश करने वाली कारों की संख्या काफी ज्यादा है। यह फीचर कुछ साल पहले तक सिर्फ महंगी लग्जरी कारों में देखने को मिलती थी, लेकिन अब यह छोटी कारों में भी स्टैंर्ड सेफ्टी फीचर्स के तौर पर देखने को मिल रहा है। ऐसा संभव हो सकता है कि कई कार निर्माता कंपनियां भविष्य में किसी भी अतिरिक्त टायर की पेशकश नहीं करेंगे और एक साधारण टायर पंचर रिपेयर किट प्रदान करेंगे। हालांकि, इसमें यह साफ नहीं हो पाया है कि क्या कार निर्माता कंपनियां एक कंप्रेसर भी प्रदान करेगा, जिसका इस्तेमाल टायर में हवा भरने के लिए किया जाता है।