नेपाल ने राजधानी काठमांडू काे भारत तक रेललाइन से जाेड़ने के प्रस्ताव काे हरी झंडी दे दी है। नेपाली वेबसाइट राताेपाती डाॅट काॅम के अनुसार, लंबे समय बाद नेपाल ने काठमांडू और बिहार के रक्सौल काे रेललाइन से जोड़ने के भारत की कोंकण रेलवे कॉरपोरेशन काे डीपीअार तैयार करने की अनुमति दे दी है। नेपाल के परिवहन मंत्रालय के सचिव रबींद्रनाथ श्रेष्ठा के अनुसार भारत को इस बारे में चिट्ठी भेजकर डीपीआर और निर्माण कार्य के लिए अपनी राय के साथ मंजूरी दी गई है। भारत के प्राेजेक्ट काे हरी झंडी मिलना रणनीतिक रूप से चीन के लिए झटका है। चीन ने भी तिब्बत के कीराेंग से काठमांडू तक ट्रैक बिछाने का प्रस्ताव रखा है।भारत ने पिछले साल अगस्त में नेपाल सरकार से डीपीआर और रेलवे के निर्माण के लिए अनुमति मांगी थी। नेपाल और भारत ने 2018 में काठमांडू में चौथे बिम्सटेक सम्मेलन के दौरान काठमांडू-रक्सौल रेल लिंक के अध्ययन के लिए एक समझौते पर दस्तखत किए थे।
विशेषज्ञों ने इस रणनीतिक मायने को स्पष्ट करते हुए बताया कि भारत नेपाल में अलग गेज की रेललाइन बिछाएगा। भारत वहां पर 1,676 मिलीमीटर ब्रॉड गेज वाली रेललाइन बिछाएगा। जबकि चीन का रेल ट्रैक 1,435 मिलीमीटर चौड़ाई वाला होता है। इससे भारत के ट्रैक पर चीन की रेल नहीं दौड़ पाएगी। नेपाल की राजधानी से रेल संपर्क कायम होने से जरूरत पड़ने पर वहां जल्दी सैनिक और हथियार भेजे जा सकेंगे। भारत के प्रभाव को साबित करने वाला नेपाल का यह फैसला दोनों देशों के सीमा विवाद और कुछ जुबानी हमलों के बाद लिया गया, इसलिए इसका महत्व और बढ़ गया है।
दोनों देशों के बीच बना अप्रिय वातावरण तब छंटना शुरू हुआ जब अक्टूबर में सबसे पहले भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के प्रमुख सामंत कुमार गोयल काठमांडू गए और वहां पर उन्होंने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात की। इसके बाद भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने और उसके बाद विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के काठमांडू दौरे हुए। इन्हीं दौरों से माहौल बदल गया। नेपाल में चीन समर्थक माने जाने रक्षा मंत्री को हटाकर मंत्रालय का कार्यभार प्रधानमंत्री ने खुद अपने पास कर लिया। दोनों देशों से जुड़ी कई परियोजनाओं की प्रक्रिया आगे बढ़ने लगी। अब नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावली भारत आ रहे हैं। माना जा रहा है कि ज्ञावली के दौरे से दोनों देशों के बीच गर्मजोशी का वातावरण और बेहतर होगा।
नया रेल मार्ग रक्सौल से काठमांडू को जोड़ने वाला होगा। नेपाली अधिकारियों ने कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड को परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) बनाकर देने के लिए कहा है। यह जानकारी नेपाली वेबसाइट रेटोपतीडॉटकॉम ने दी है। यह रेललाइन 136 किलोमीटर लंबी होगी जिसमें से 42 किलोमीटर ट्रेन सुरंग से होकर गुजरेगी। नेपाल सीमा पर स्थित भारत का रक्सौल रेलवे स्टेशन नेपाल के बीरगंज स्टेशन से जुड़ा हुआ है। रक्सौल नेपाल के लिए भारत का गेटवे है। यहां के लिए नई दिल्ली और कोलकाता से सीधे ट्रेन हैं।