चुनाव सुधारक और सख्त प्रशासक पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन अब हमारे बीच नहीं रहे। लेकिन चुनाव व्यवस्था में जब-जब सुधार की बातें होंगी वो हमेशा याद किए जाएंगे। वास्तव में वो शेषन ही थे जिन्होंने चुनाव आयोग की तस्वीर बदल दी थी।
चुनाव संबंधी नियमों को सख्ती से लागू करवाने के लिए मशहूर शेषन ने अपने कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव किसी को नहीं बख्शा। वो पहले चुनाव आयुक्त थे जिन्होंने बिहार में पहली बार चार चरणों में चुनाव करवाया था। इस दौरान मात्र गड़बड़ी की आशंका में ही चारों बार चुनाव की तारीखें तक बदल दी थी। बूथ कैप्चरिंग के लिए बदनाम रहे बिहार में उन्होंने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया था।
पहचान पत्र से चुनाव की शुरुआत कराई
शेषन के कार्यकाल में ही चुनावों में मतदाता पहचान पत्र का इस्तेमाल शुरू हुआ। शुरू में नेताओं ने इसका विरोध किया था और इसे बहुत खर्चीला बताया था। लेकिन शेषन नेताओं के आगे नहीं झुके और कई राज्यों में तो मतदाता पहचान पत्र तैयार नहीं होने की वजह से उन्होंने चुनाव तक स्थगित करवा दिए थे। शेषन जब नए-नए मुख्य चुनाव आयुक्त बने थे तब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि आयोग में कोई काम तो होता नहीं तो वो करते क्या हैं? तब उन्होंने कहा था कि वह अपने दफ्तर में बैठकर क्रॉसवर्ल्ड पजल्स खेलते हैं। बता दें कि शेषन के मुख्य चुनाव आयुक्त बनने से पहले चुनाव आयोग की छवि बहुत अच्छी नहीं थी।
आदर्श चुनाव संहिता को सख्ती से लागू कराया
शेषन ने आदर्श चुनाव संहिता का सख्ती से पालन कराया। उनके पहले आदर्श चुनाव संहिता का उल्लंघन करना नेताओं की आदत बन गई थी। उनकी सख्ती का आलम यह था कि उत्तर प्रदेश में एक नेता को प्रचार का समय खत्म होने के बाद भाषण बीच में छोड़कर मंच से उतरना पड़ा था। चुनाव प्रचार के दौरान खर्च पर अंकुश लगाने की शुरुआत भी उन्होंने ही की थी।
मुख्य चुनाव आयुक्त बनने से पहले शेषन ने कई मंत्रालयों में काम किया और जहां भी गए उस मंत्री और मंत्रालय की छवि सुधर गई। 1990 में मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद शेषन का डायलॉग ‘आइ ईट पॉलिटिशियंस फॉर ब्रेकफास्ट’ काफी चर्चा में रहा। छह भाई-बहनों में शेषन सबसे छोटे थे। उनके पिता पेशे से वकील थे। उन्होंने आइएएस की परीक्षा टॉप की थी। वे हिंदी, अंग्रेजी के अलावा तमिल, मलयालम, संस्कृत, कन्नड़, मराठी, गुजराती भाषाओं में दक्ष थे। शेषन ने 1997 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था, हालांकि, उन्हें सफलता नहीं मिली और केआर नारायणन राष्ट्रपति चुने गए थे।