अपनी विवादित टिप्पणियों के लिए मशहूर, शायर मुनव्वर राना के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में SC/ST एक्ट समेत कई अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया है। मुनव्वर राना ने महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से की थी। इसके बाद अखिल भारतीय हिन्दू महासभा और सामाजिक सरोकार फाउंडेशन की शिकायत पर केस दर्ज किया।
मुनव्वर राना द्वारा महर्षि वाल्मीकि पर की गई टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए वाल्मीकि समाज ने इसे हिन्दुओं की आस्था के साथ किया गया खिलवाड़ बताया। इसके बाद राना के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई गई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने राना के खिलाफ SC/ST एक्ट और धारा 153A, 295A और 501(1)(B) के अंतर्गत केस दर्ज कर लिया है।
ज्ञात हो कि शायर मुनव्वर राना ने महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से करते हुए कहा था, “इंसान का कैरेक्टर बदलता रहता है। वाल्मीकि का जो इतिहास था, उसे तो हमें निकालना पड़ेगा न। हमें तो अफगानी अच्छे लगते हैं। वाल्मीकि को आप भगवान कह रहे हैं, लेकिन आपके मजहब में तो किसी को भी भगवान कह दिया जाता है।” राना ने न्यूज नेशन पर पत्रकार दीपक चौरसिया से बात करते हुए कहा था कि वाल्मीकि रामायण लिख देता है तो वो देवता हो जाता है, उससे पहले वो डाकू होता है।
क्यों गलत हैं मुनव्वर राना
महर्षि वाल्मीकि के डकैत होने के कोई पुष्ट सबूत नहीं – यह ऑपइंडिया या किसी व्यक्ति-विशेष का नहीं बल्कि हाईकोर्ट का मानना है। नौवीं शताब्दी तक के किसी भी वैदिक साहित्य में महर्षि वाल्मीकि के डाकू होने की बात नहीं लिखी है। ये बात खुद जज ने कही थी।
इससे संबंधित एक मामला (‘विदाई’ नाम के टीवी सीरियल का, जिसमें वाल्मीकि के डकैत का प्रसंग था, बवाल हुआ था) सुप्रीम कोर्ट में भी गया था। वहाँ भी सीरियल के निर्माताओं को राहत नहीं दी गई थी। इसी तरह अरशद वारसी की फिल्म ‘द लीजेंड ऑफ माइकल मिश्रा’ को भी पंजाब में प्रतिबंधित किया गया था, क्योंकि उसमें भी इसी कहानी को दोहराया गया था।
महर्षि वाल्मीकि के ‘अपराधी’ होने की बात से वाल्मीकि समाज के लोग इत्तिफ़ाक़ नहीं रखते और वो इसे अपमानजनक बताते हैं।