प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत किसी भी किसान परिवार का हर बालिग सालाना खेती-किसानी के लिए 6000 रुपये की सरकारी मदद ले सकता है। शर्त ये है कि रेवेन्यू रिकॉर्ड में उसका नाम हो। किसानों को डायरेक्ट मदद देने वाली पहली स्कीम में परिवार का मतलब है पति-पत्नी और 18 साल से कम उम्र के बच्चे। उसके अलावा अगर किसी का नाम खेती के कागजात में है तो उसके आधार पर वो अलग से लाभ ले सकता है। भले ही वो संयुक्त परिवार का हिस्सा ही क्यों न हो।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि एक ही खेती योग्य जमीन के भूलेख पत्र में अगर एक से ज्यादा व्यस्क सदस्य के नाम दर्ज हैं तो योजना के तहत हर व्यस्क सदस्य अलग से लाभ के लिए पात्र होगा। इस स्कीम में तीन किश्तों में सालाना 6000 रुपये की नगद आर्थिक मदद मिलती है।
तो किन किसानों को नहीं मिलेगा लाभ
(1) कृषि मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक ऐसे किसान जो भूतपूर्व या वर्तमान में संवैधानिक पद धारक हैं, वर्तमान या पूर्व मंत्री हैं, मेयर या जिला पंचायत अध्यक्ष हैं, विधायक, एमएलसी, लोकसभा और राज्यसभा सांसद हैं तो वे इस स्कीम से बाहर माने जाएंगे। भले ही वो किसानी भी करते हों।
(2) केंद्र या राज्य सरकार में अधिकारी एवं 10 हजार से अधिक पेंशन पाने वाले किसानों को लाभ नहीं।
(3) पेशेवर, डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, वकील, आर्किटेक्ट, जो कहीं खेती भी करता हो उसे लाभ नहीं मिलेगा।
(4) पिछले वित्तीय वर्ष में इनकम टैक्स का भुगतान करने वाले किसान इस लाभ से वंचित होंगे।
(5) केंद्र और राज्य सरकार के मल्टी टास्किंग स्टाफ/चतुर्थ श्रेणी/समूह डी कर्मचारियों लाभ मिलेगा।
कितने किसानों को मिला लाभ
पीएम-किसान स्कीम के तहत योजना की अनौपचारिक शुरुआत होने के करीब 15 महीने बाद भी सिर्फ 6।43 करोड़ किसानों तक ही तीनों किश्त के 6000 रुपये मिले हैं। योजना के तहत 1 दिसंबर 2018 से पैसा आना शुरू हो गया था, जबकि इसकी औपचारिक शुरुआत 24 फरवरी 2019 को हुई थी।
स्कीम का दूसरा चरण भी शुरू हो चुका है जिसके तहत 2000 रुपये की पहली किश्त 3.39 करोड़ लोगों को मिल चुकी है। सरकार ने देश के सभी 14।5 करोड़ किसानों को इस स्कीम का फायदा देने का लक्ष्य रखा था। इसलिए अब चाहती है जिस भी बालिग व्यक्ति का नाम रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज है वो इसका अलग से फायदा लेकर अपनी खेती-किसानी को आगे बढ़ाए। योजना के तहत अब तक 51 हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम किसानों के अकाउंट में भेजी जा चुकी है।