निधी
पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 1 जून (सोमवार) को कैबिनेट की बैठक हुई. सरकार के दूसरे कार्यकाल के दूसरे साल की ये पहली बैठक थी. इसमें किसानों, रेहड़ी-पटरी वालों और छोटे उद्योगों के लिए बड़े फैसले लिए गए. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, नितिन गडकरी और नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर फैसलों के बारे में बताया.
प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि
सरकार ने स्ट्रीट वेंडर्स के लिए नई योजना शुरू की है. इसका नाम ‘प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि’ है. इसके तहत रेहड़ी पटरी वालों को 10 हजार रुपये का लोन दिया जाएगा. यह एक साल में चुका सकते हैं. समय पर लोन चुकाने पर सात प्रतिशत ब्याज सब्सिडी के रूप में मिलेगा. अगर कोई पैसा नहीं चुका पाता है, तो उसके लिए कोई दंड नहीं होगा. इसके तहत सब्जी, फल, चाय, पकौड़ा, कपड़ा, किताब, अंडा, सलून, पान और लॉन्ड्री वालों को लोन दिया जाएगा. सरकार ने कहा कि इसके लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा. साथ ही मोबाइल ऐप भी तैयार किया जाएगा.
किसान
किसान ऋण चुकाने की अवधि 31 अगस्त तक बढ़ाई गई. ये ऋण 9% ब्याज पर लिया जाता है. 2% सरकार की छूट रहती है तो यह 7 प्रतिशत हो जाता है. समय पर चुकाने पर 3% की और छूट मिलती है. ऐसे में किसान को 4 प्रतिशत ब्याज ही वित्त वर्ष के अंत तक चुकाना होता था. पहले 31 मई तक लोन चुकाने की छूट थी. इसे बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया है. सरकार का कहना है कि बड़ी संख्या में किसानों को फायदा होगा.
साथ ही खरीफ की 14 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी भी बढ़ाया गया है. सरकार ने कहा कि इन फसलों का मूल्य लागत की तुलना में 50 प्रतिशत बढ़ा है. इसके तहत धान की एमएसपी 1868 रुपये, जवार की 2620 रुपये और बाजरे की 2150 रुपये प्रति क्विंटल होगी.
सरकार ने कहा कि लॉकडाउन के बावजूद रबी की खरीद बढ़ी है. पिछले साल 342 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था. इस बार यह आंकड़ा 360 मीट्रिक टन रहा है. इसी तरह 95 मीट्रिक टन धान और 16.07 मीट्रिक टन दलहन-तिलहन भी खरीदा गया है.
MSME यानी माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज उद्योग
सरकार ने MSME की परिभाषा में बदलाव किया है. साथ ही दो पैकेज भी जारी किए हैं. एक पैकेज 20 हजार करोड़ रुपये का है. इसे संकट से जूझ रही MSME के लिए जारी किया गया है. वहीं MSME में पैसा आए, इसके लिए 50 हजार करोड़ रुपये की इक्विटी निवेश का फैसला हुआ है. इसके तहत MSME इकाइयां स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होंगी और सरकार उनमें शेयर खरीदेगी.
कैबिनेट की बैठक में ‘आत्मनिर्भर भारत’ पैकेज के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम दर्जे के उद्योगों (एमएसएमई) की परिभाषा को बदलने की मंजूरी दी गई है. यह फैसला 14 साल बाद हुआ है इसके तहत-
# 1 करोड़ रुपये का निवेश और 5 करोड़ रुपये का कारोबार होने पर सुक्ष्म उद्योग माना जाएगा.
# 10 करोड़ का निवेश और 50 करोड़ का कारोबार होने पर लघु उद्योग माना जाएगा.
# 50 करोड़ का निवेश और 250 करोड़ का टर्नओवर होने पर मध्यम उद्योग में गिना जाएगा.
इनमें निर्यात को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा.