कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए रेलवे बड़ा फैसला लेने पर विचार कर रहा है. सूत्र के मुताबिक भारतीय रेल सभी ट्रेनों के परिचालन पर 25 मार्च तक के लिए रोक लगा सकता है. सूत्रों ने कहा कि अभी केवल 400 मेल एक्सप्रेस ट्रेनें चल रही हैं. ये ट्रेनें एक बार मंजिल पर पहुंचकर बंद हो जाएंगी. उसके बाद एक भी ट्रेन नहीं चलेगी. सभी बड़े स्टेशनों को खाली किया जाएगा. रेलवे बोर्ड रविवार को इसकी अधिसूचना जारी कर सकता है. रेलवे बोर्ड 25 मार्च को समीक्षा करेगा कि इस व्यवस्था को आगे बढ़ाया जाए या नहीं.
ऐसे कैसे चलेगा
हम सब चिंतित हैं। कोरोना विश्वव्यापी हो चला है। संक्रमित और मृत व्यक्तियों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। सरकार भी चिंतित दिख रही है। अपने तईं प्रयासरत है सरकार पर ज़रूरी है की इस वक़्त के प्रयास सही दिशा में हों।हमें सोचना होगा कहीं हमसे चूक तो नहीं हो रही और हो रही है तो कहाँ हो रही है ?
कोरोना की शुरुआत चीन से हुई। चीन के वुहान से शुरु होकर ये दुनियाँ के अन्य देशों तक पहुँचने लगा। जब स्थिति गंभीर होने लगी तो हम भी चेते। चीन में रहने वाले भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाया गया।उनके लिए quarantine सेंटर बनाए गए। उन्हें वहाँ 14 दिनों तक रखा गया। फ़िर जाँच कर घर भेजा गया। ये भारत सरकार का जबरदस्त प्रयास था। ये बेहद प्रशंसनीय कार्य था और प्रशंसा हुई भी। सरकार ने चीन पर फोकस कर रखा था और बेहद साहस और सतर्कता से निपट रही थी किन्तु यहीं हमसे चूक हो गईं। अर्जुन की तरह सरकार सिर्फ़ मछली की आँख देख रही थी जबकि इसे समग्रता से देखने की जर्रूरत थी। जब चीन से आए सैकड़ो लोग quarantine center में थे ठीक उसी वक़्त इटली , स्पेन , सिंगापुर , मलेशिया , ईरान , इंग्लैंड , अमेरिका से आने वाले सैकड़ो लोग कोरोना वायरस को साथ लिए विभिन्न भारतीय एअरपोर्टो पर उतर भीड़ में पैवस्त हो रहे थे। एअरपोर्ट पर उनकी केवल थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही थी।सामान्य समझ का आदमी भी जानता है की थर्मल स्क्रीनिंग कोरोना के संदर्भ में महज़ एक औपचारिकता भर है। इन थर्मल स्केनरो के आगे से मुस्कुरा कर गुजरता कोरोना भारत की जमीं पर आ गया। विदेश से लौटे इन लोगों में से कई बाद में बीमार पड़े और जाँच में कोरोना posative पाए गए। साफ़ दिख रहा था की हमसे चूक हो गईं।
भारत भूमि पर पहुँचा कोरोना यहाँ उभरने और फैलने लगा। सरकार ने विदेश से लौटे लोगों का कोरोना टेस्ट शुरु किया। पर चिड़ियाँ खेत चुग चुकी थी उसने दाने चहूँ ओर बिखेर दिए थे।
अब भारत के विभिन्न शहरों में बसे ग्रामीण (ख़ास तौर से बिहार और झारखंड के )दहशत के इस माहौल में घर लौटना चाहते हैं , लाखों की संख्या में लौट भी रहे हैं। ट्रेनें खचाखच भरी हैं , प्लेटफॉर्म पर पाँव रखने की जगह नहीं है और मुस्कुराता हुआ कोरोना भारत की हृदयस्थली गाँवों की ओर चल पड़ा है। सब देख रहे हैं , सरकार मूकदर्शक है। भारत कोरोना के community spreat की ओर बढ़ रहा है। चूक यहाँ भी हो रही है।
ये सच है की ये सरकार के लिए ये बेहद कठिन समय है। घर लौटने को आतुर लोगों की चिंता ज़ायज़ है। सरकार को इसे समझना होगा। भीड़ को नियंत्रित करना होगा। उन्हें सुविधाएँ और साधन उपलब्ध करवाने होंगें। सरकार को उन्हें भरोसे में लेना होगा। उन्हें विश्वास दिलाना होगा की सब को एक -एक कर घर भेजा जाएगा। भीड़ को एक सिस्टम के हवाले कर टूकड़ो में बाँटना होगा। ट्रेनों के परिचालन पर पूर्ण नियंत्रण कर इसे व्यवस्थित करना होगा।यात्रियों में से छंटनी कर संदिग्धों की जाँच होनी चाहिए। यात्रियों के बीच सेनेटाइजेशन की पर्याप्त व्यवस्था हो।ऐसे स्टेशनों को चिन्हित किया जाय जहाँ से बिहार -यूपी की ट्रेनें खुलती हैं और भीड़ ज्यादा है , उन स्टेशनों को सेना की सुरक्षा में दिया जाए। लोगों को पर्याप्त जाँचोप्राँत विभिन्न तिथियों के फ्री यात्रा परमिट दिए जा सकते हैं।बगैर परमिट स्टेशनों पर प्रवेश वर्जित हो। यात्रा परमिट के साथ सरकार द्वारा तय गाइडलाईन को मानना अनिवार्य किया जाए।
सबसे पहले तो सरकार को कोरोना जाँच केंद्रों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि करनी होगी। सवा सौ करो़ड़ की आबादी में 110 जाँच केंद्र ऊँट के मुँह में जीरा नहीं तो ओर क्या हैं।इस परेशानी को उदाहरण से समझिये- पुरे बिहार में कोरोना की जाँच के लिए एक मात्र केंद्र RMRI पटना ही है। त्रिवेणीगंज से पटना की दूरी लगभग 300 km है। संदिग्ध बुखार का कौन सा पेशेंट हाहाकार के इस माहौल में 300 किलोमीटर सफ़र करना चाहेगा फलतः वो ख़ुद भी मरेगा और लोगों को भी मारेगा हाँ सरकारी आंकड़ों में ये मौत शायद दर्ज़ ना हो।
सरकार को सतर्कता और मुस्तैदी से काम करना होगा , लोगों को धैर्य दिखाना होगा। राजनीति तो ताउम्र चलती है चलती रहेगी ये समय सरकार के लिए अपनी दक्षता , कर्मठता दिखाने का है।विपक्ष के लिए सार्थक सहयोग और सलाह देने के लिए। यहाँ चूक भारी पड़ेगी …….