फार्मा एवं इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने एवं मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने 61,802 करोड़ रुपए के पैकेज देने का फैसला किया है। इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को तीन स्कीम के तहत कुल 48,042 करोड़ रुपए का पैकेज दिया गया तो फार्मा व मेडिकल उपकरण निर्माण के लिए कुल 13,760 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। सरकार के इस फैसले से अकेले इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्र में 20 लाख करोड़ के निवेश की संभावना है जिससे 25 लाख लोगों को रोजगार मिलेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी की बैठक में यह फैसला गत शुक्रवार को ले लिया गया था जिसकी घोषणा शनिवार को की गई।
इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग को 40,995 करोड़
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग के लिए तीन स्कीम के तहत फंड तय किए गए हैं। पहली स्कीम के तहत भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव दिए जाएंगे। इस मद में सरकार ने 40,995 करोड़ रुपए का फंड रखा है। उन्होंने बताया कि प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम अगले 5 साल के लिए लागू रहेगी और इससे विदेशी कंपनियां भारत में आकर्षित होंगी। कुछ घरेलू कंपनियों को भी इस क्षेत्र में चैंपियन बनने का मौका मिलेगा।
मैन्यूफैक्चरिंग के लिए 3285 करोड़ का प्रोत्साहन
इलेक्ट्रॉनिक्स से जुड़ी दूसरी स्कीम इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट व सेमीकंडक्टर के मैन्यूफैक्चरिंग प्रोत्साहन से जुड़ी है। इस मद में सरकार 3285 करोड़ रुपए की सहायता देगी। इसके तहत कंपोनेंट व सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए जो पूंजीगत निवेश होगा, उस पर सरकार 25 फीसद की वित्तीय सहायता देगी। इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग की तीसरी स्कीम के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर का निर्माण होगा। इस मद में 3762 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। क्लस्टर में एक बड़ी कंपनी होगी और बाकी की छोटी-छोटी कंपनियां होंगी।
बल्क ड्रग एवं मेडिकल उपकरण के लिए 13,760 करोड़
रसायन व उर्वरक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनसुख मांडविया ने बताया कि बल्क ड्रग व मेडिकल उपकरण क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुल 13,760 करोड़ रुपए के पैकेज की मंजूरी दी गई। बल्क ड्रग के मद में 9,940 करोड़ रुपए के पैकेज की मंजूरी दी गई है तो मेडिकल उपकरण के लिए 3,820 करोड़ रुपए दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि बल्क ड्रग के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए 6,940 करोड़ रुपए का प्रावधान प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव के लिए किया गया है।
बनाए जाएंगे चार मेडिकल डेवाइस पार्क
3000 करोड़ रुपए की लागत से तीन बल्क ड्रग पार्क बनाए जाएंगे। मेडिकल उपकरण निर्माण के प्रोत्साहन के लिए चार मेडिकल डेवाइस पार्क बनाए जाएंगे। पार्क निर्माण में सरकार 400 करोड़ रुपए का सहयोग देगी। मेडिकल उपकरण निर्माण के प्रोत्साहन के लिए भी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव देने का फैसला किया गया है। इस मद में 3420 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। मेडिकल उपकरण निर्माण के तहत एमआरआई मशीन, पैथोलॉजी मशीन, एक्स-रे मशीन जैसे उपकरणों का निर्माण किया जाएगा जो अभी भारत में नहीं बनाए जाते हैं।
फार्मा सेक्टर तीन लाख करोड़
मांडविया ने बताया कि भारत में फार्मा सेक्टर 3 लाख करोड़ का उद्योग है। लेकिन कई बल्क ड्रग जिसकी मदद से दवा का निर्माण किया जाता है, का हम भारी मात्रा में आयात करते हैं। अभी भारत 42,000 करोड़ रुपए के बल्क ड्रग का आयात करता है। वहीं मेडिकल उपकरण के मामले में 85 फीसद हम आयात पर निर्भर करते हैं। सरकार की तरफ से घोषित इस स्कीम की मदद अगले पांच साल में भारत ड्रग सुरक्षित देश बन जाएगा। फार्मा निर्माताओं के मुताबिक भारत में दवा निर्माण में इस्तेमाल होने वाले बल्क ड्रग में 65 फीसद हिस्सेदारी चीन की है। 10 फीसद अन्य देशों से आयात होता है तो घरेलू स्तर पर सिर्फ 25 फीसद बल्क ड्रग का निर्माण होता है। यही वजह है कि चीन में कोरोना के कारण सप्लाई चेन प्रभावित होने से बल्क ड्रग की कमी की आशंका होने लगी थी।