केजरीवाल सरकार ने एक दिल्ली क्षेत्र के लिये एक योजना लेकर आए थे । नाम था फरिश्ते योजना । इस योजना के तहत सड़क दुर्घटना में घायल कोई भी व्यक्ति किसी भी निजी या सरकारी अस्पताल में मुफ्त इलाज करवा सकता है । उसके इलाज में हुए सभी खर्च दिल्ली सरकार अपने कोष से वहन कर रही थी । मोदी सरकार भी इस योजना से इतना प्रभावित हुआ की उन्होने पुरे देश में इस योजना को लागू करने का प्लान बना लिया ।
केंद्र सरकार सड़क दु’र्घटना पी’ड़ितों के लिए जल्द नकदरहित (कैशलेस) इलाज की सुविधा शुरू करने की योजना बना रही है. इसके तहत प्रत्यके मामले में अधिकतम सीमा 2.5 लाख रुपये रहेगी. देश में हर साल करीब पांच लाख सड़क दु’र्घटनाएं होती हैं. यह दुनिया में सबसे अधिक है. इन आंकड़ों को देखते हुए यह योजना काफी महत्वपूर्ण हो जाती है.
देश में हर साल सड़क दु’र्घटनाओं में डेढ़ लाख लोगों की मौ’त होती है और तीन लाख लोग अ’पंग हो जाते हैं. राज्यों के परिवहन सचिवों तथा आयुक्तों को मंगलवार को भेजे पत्र में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कहा है कि नकदीरहित इलाज की योजना के लिए उसके तहत एक मोटर वाहन दु’र्घटना कोष बनाया जाएगा. सड़क दु’र्घटना कोष की स्थापना पिछले साल सितंबर में संसद द्वारा पारित संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट के प्रमुख प्रावधानों में से एक था.
एक दिन में औसतन 1200 रोड ए’क्सी़डेंट्स : कहा गया है कि सड़क दु’र्घटना पीड़ितों को नकदीरहित इलाज मुहैया कराने के लिए संभवत: राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के मजबूत आईटी ढांचे का इस्तेमाल किया जाएगा. भारत में सड़क दुर्घटनाओं की वजह से हर साल 1,50,000 से अधिक लोग मा’रे जाते हैं. परिवहन मंत्रालय के अनुसार भारत में हर दिन औसतन 1,200 सड़क दु’र्घटनाएं होती हैं और लगभग 400 लोग अपनी जा’न गं’वा देते हैं.
मंत्रालय के प्रस्ताव में कहा गया है कि ‘एनएचए के मजबूत आईटी प्लेटफॉर्म को सड़क यातायात दुर्घटनाओं के शिकार लोगों के लिए कैशलेस इलाज देने के लिए उपयोग किया जा सकता है.अगर अस्पताल रोगी को एक पीएमजेएवाई अस्पताल में भेजेंगे तो ऐसे में अस्पतालों को कम से कम मरीज को फर्स्ट एड देकर उसे स्थिर करना होगा. ताकि PMJAY अस्पताल में उसका सुचारु रूप से इलाज हो सके.
सड़क दु’र्घटना के शिकार लोगों के लिए ट्रामा और हेल्थकेयर सेवाओं को एक खाते के माध्यम से फंड दिया जाएगा जिसे योजना को लागू करने के लिए परिवहन मंत्रालय के तहत स्थापित किया जाएगा. प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर दु’र्घटनाग्रस्त गाड़ी का बीमा नहीं होगा तो मुआवजे के तौर पर इलाज का खर्च गाड़ी मालिकों को देना होगा.