कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज (गुरुवार) जन्मदिन है। मनमोहन सिंह 87 बरस के हो गए हैं। जन्मदिन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम को बधाई दी है। पीएम मोदी के अलावा देश के कई नेता मनमोहन सिंह को बधाई दे रहे हैं।
अमेरिका दौरे के बीच ट्वीट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जन्मदिन की बधाई। मैं उनकी लंबी और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं।’
Best wishes to our former Prime Minister Dr। Manmohan Singh Ji on his birthday। I pray for his long and healthy life।
— Narendra Modi (@narendramodi) September 25, 2019
गौरतलब है कि देश में आर्थिक सुधारों के सूत्रधार माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था। मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।
एक दशक के अपने कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह की चुप्पी पर कई सवाल उठे, लेकिन यही सादगी उनकी सबसे बड़ी विशेषता भी रही। बीते पांच सालों में मनमोहन सिंह लगातार मोदी सरकार पर बड़े मुद्दों को लेकर हमला करते रहे हैं, फिर चाहे जीएसटी का लागू होना हो, नोटबंदी का ऐलान और या फिर हाल के दौर में आर्थिक मंदी का असर हो। मनमोहन सिंह का एक वार मोदी सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर देता है।
2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के कार्यकाल में यूपीए सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। हालांकि, मनमोहन सिंह खुद हमेशा बेदाग ही रहे।
कैंब्रिज विश्वविद्यालय से की है पढ़ाई
मनमोहन सिंह ने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से 10वीं की परीक्षा पास की और आगे की पढ़ाई के लिए विदेश चले गए। ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से साल 1957 में उन्होंने प्रथम श्रेणी से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएट हुए। साल 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नूफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में पीएचडी की।
अर्थशास्त्र के शिक्षक बने, वित्त मंत्रालय में सलाहकार रहे
पीएचडी कर डॉक्टर की उपाधि लेने के बाद मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र भी पढ़ाया। शिक्षक के रूप में भी वह छात्रों के पसंदीदा रहे। उन्हें जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में भी नियुक्त किया गया था।
1971 में डॉ सिंह वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार और 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके हैं। इसके बाद के वर्षों में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) के अध्यक्ष भी रहे।
राजनीतिक करियर
कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह साल 1991 में असम से राज्यसभा सदस्य चुने गए। इसके बाद वह साल 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर राज्यसभा सदस्य रहे। 1998 से 2004 तक जब भाजपा सत्ता में थी, तब वही राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। 1999 में उन्होंने दक्षिणी दिल्ली से चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए।
साल 2004 में जब कांग्रेस सत्ता में आई, तो डॉ। मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बनाए गए। साल 2009 में एक बार फिर कांग्रेस सत्ता बचाने में कामयाब रही और एक बार फिर डॉ। सिंह प्रधानमंत्री बने।
बेहतर वित्तमंत्री के तौर पर किए आर्थिक सुधार
मनमोहन सिंह 1991 से 1996 तक वित्तमंत्री रहे। 1990 का दशक वैश्वीकरण के लिए जाना जाता है और देश में आर्थिक सुधारों के लिए वह हमेशा याद किए जाते हैं। विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करवाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। उनकी भूमिका की सभी सराहना करते हैं।
मनमोहन सिंह ने राष्ट्रमंडल प्रमुखों की बैठक और वियना में मानवाधिकार पर हुए विश्व सम्मेलन में 1993 में साइप्रस में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था।
मनमोहन की अगुवाई में ग्लोबल बना हिंदुस्तान
90 के दशक की शुरुआत में जब भारत को दुनिया के बाजार के लिए खोला गया तो मनमोहन सिंह ही वित्त मंत्री थे। देश में आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत इन्होंने ही की थी। इसके बाद PM रहते हुए मनरेगा की शुरुआत भी बड़ा फैसला रहा, मनरेगा के कारण कई गरीब लोगों को रोजगार मिल पाया।