पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब वायरल हुआ था, मामला बिहार के सहरसा जिले के था । सहरसा के एक समाजसेवी रौशन झा, वहाँ के विशाल मेगा मार्ट के मैनेजर को ये समझाते हुए दिख रहे हैं कि उन्हे कैरी बैग का पैसा नहीं लेना चाहिये । लेकिन विशाल मेगा मार्ट के मैनेजर हायपर हो जाते हैं और कहते हैं कि आपको जो करना है कीजिये हम तो पैसा लेंगे । मामला सोशल मीडिया पर आता है और विशाल मेगा मार्ट की किरकिरी शुरू हो जाती है ।
हालिया रिपोर्ट हाइपरमार्केट चेन बिग बाजार का है । उपभोक्ता फोरम ने कैरीबैग के लिए पैसे लेने की एवज में 11 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। जिला कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल फोरम में बिग बाजार से 11518 रुपये देने को कहा । इस राशि में से 10 हजार रुपये कंज्यूमर लीगल ऐड अकाउंट (जरूरतमंद ग्राहकों के लिए) और 1518 रुपये पंचकूला निवासी को देने का आदेश दिया ।
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार पंचकूला सेक्टर 15 निवासी बलदेव राज ने फ्यूचर रिटेल के बिग बाजार स्टोर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। बलदेव ने अपनी शिकायत में कहा था कि पंचकूला के इंडस्ट्रियल एरिया स्थित बिग बाजार स्टोर में इस साल 20 मार्च को उसने स्टोर से जो सामान खरीदा था उसको रखने के लिए कपड़े के कैरीबैग की एवज में उससे 18 रुपये लिए गए।
बलदेव का कहना था कि स्टोर ने कही इस बात का जिक्र नहीं किया था कि उससे बैग के बदले में राशि ली जाएगी। इसलिए ऐसा करना सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार का मामला है। इसके जवाब में बिग बाजार के प्रतिनिधि ने कहा कि इस मामले में कोई भी गलत चार्ज नहीं किया गया है। कैरी बैग की कीमत के बारे में जानकारी स्टोर में प्रमुखता से दर्शाई गई है।
इसमें यह भी कहा गया कि कैशियर ने बैग का मूल्य टोटल बिल में उपभोक्ता की सहमति के बाद ही जोड़ा था। स्टोर के प्रतिनिधि की तरफ से कहा गया कि कपड़े के बैग की कीमत 18 रुपये से अधिक है और स्टोर की तरफ से कमर्शियली इसकी सेल नहीं की जाती है। फोरम स्टोर की तरफ से दी गई दलील से प्रभावित नहीं हुआ। फोरम ने कहा कि विपक्षी पार्टी के देशभर में कई स्टोर हैं। इस तरह से उसने लोगों से काफी पैसा कमाया है। ऐसे में उपभोक्ता को कैरीबैग के लिए अतिरिक्त पैसा देने पर मजबूर करना निश्चित रूप से सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार का मामला है।