ऐसा भोज विरले ही देखने को मिलता है, जैसा मंगलवार को इंदौर में हुआ। 7 किमी लंबी सड़क पर आमने-सामने दो पांतों में बैठ करीब 10 लाख लोगों ने भोजन किया। परोसने का जिम्मा 10 हजार लोगों ने संभाला। भोजन परोसने के लिए वाहनों का उपयोग किया गया। आम हो या खास, महिला हों या पुरुष, व्यापारी हों या अधिकारी, बजरंग बली का प्रसाद ग्रहण करने को हर कोई उमड़ पड़ा। बड़ी बात यह भी कि दोपहर से लेकर देर रात तक महाभोज चला और सुबह होते तक सड़क पहले की तरह साफ-सुथरी ही नजर आई।
इंदौर में हुआ यह महाभोज अपने आप में अनूठा आयोजन था। इससे पहले इंदौर में ऐसा महाभोज नहीं हुआ। हालफिलहाल देश में भी कहीं इस तरह का आयोजन होते नहीं देखा गया, जहां सात किलोमीटर लंबी पंगत बैठी। आयोजकों का दावा है कि 10 लाख से अधिक लोगों ने भोजन किया। लोग हजारों-हजार के जत्थों में पहुंच रहे थे और अपनी बारी के इंतजार में सड़क के किनारे खड़े थे। व्यवस्था में जुटे हजारों लोग भी दौड़-दौड़कर लोगों को भोजन करवाने में जुटे थे। सात किमी सड़क पर एक साथ पांत बैठती। ई-रिक्शा, बाइक, लोडिंग रिक्शा जैसे वाहनों से खाना परोसा जा रहा था। 2 हजार डिब्बे शुद्ध घी, एक हजार क्विंटल आटा, 1 हजार क्विंटल चीनी, 500 क्विंटल सब्जी, 500 क्विंटल बेसन, 500 किलो मसालों से भोजन तैयार किया गया था। 72 फीट ऊंची अष्टधातु की भगवान हनुमान की प्रतिमा का निर्माण कार्य 14 वर्ष तक चलता रहा, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा के लिए 9 दिवसीय अनुष्ठान महाप्रसाद के साथ मंगलवार को संपन्न हुआ। प्रसाद ग्रहण करने के लिए इंदौर के अलावा उज्जैन, देवास, राऊ सहित आसपास के शहरों से भी लोग आए थे। पानी पिलाने का जिम्मा स्थानीय निवासियों ने संभाल रखा था। अपने घरों और दुकानों के बाहर पानी की केन रखी हुई थी। नगर भोज के चलते हजारों घरों में रसोई नहीं बनाई गई। लोग परिवार के साथ आयोजन में शामिल हुए। सात किलोमीटर मार्ग में लोगों ने अपनी सुविधा के अनुसार नजदीकी स्थान पर भोजन किया। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव इंदौर निवासी कैलाश विजयवर्गीय भी इस आयोजन से जुड़े हुए थे, जिन्होंने 16 साल पहले पितरेश्वर हनुमान के रूप में इस मूर्ति की स्थापना का संकल्प लिया था। उन्होंने बताया कि मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो जाने तक अन्न ग्रहण न करने का संकल्प भी था, जो पूरा हुआ।
सुबह तक सड़क पहले जैसी साफ
स्वच्छता में नंबर वन इस शहर के 150 निगमकर्मियों ने नगर भोज के बाद कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर सुबह तक पूरा क्षेत्र पहले जैसा साफ-सुथरा कर दिया। यह अंदाजा लगाना भी मुश्किल था कि कुछ घंटो पहले ही यहां लाखों लोगों ने भोजन किया है। शहरवासियों ने भी पत्तल यहां-वहां फेंकने के बजाए कूड़ापात्रों में ही डाले। दो रोड स्वीपिंग मशीनों ने भी सड़क की सफाई की।