सुबह-सुबह आपके घर पर भी अखबार आता होगा। अखबार में आपको कई तरह की खबरें पढ़ने को मिलती हैं। अखबार से आपको देश-दुनिया की घटनाओं के बारे में ही पता नहीं चलता, बल्कि मौसम से संबंधित जानकारी भी मिलती है। अक्सर आपने देखा होगा कि अखबार में भारत के नक्शे पर रेड, ऑरेंज, येलो और ग्रीन अलर्ट रेखाओं के रूप में दर्शाए रहते हैं।
मौसम विभाग समय-समय पर ऐसे अलर्ट्स जारी करता है। क्या आपको पता है कि मौसम के बारे में सचेत करने के लिए भी कुछ चुनिंदा रंगों का प्रयोग किया जाता है। जैसे रेड अलर्ट, येलो अलर्ट या फिर ऑरेन्ज अलर्ट। मौसम विभाग के अनुसार अलर्ट्स के लिए रंगों का चुनाव कई एजेंसियों के साथ मिलकर किया गया है।
खासकर भीषण गर्मी, सर्द लहर, मानसून या चक्रवाती तूफान आदि के बारे में जानकारी देने के लिए इन कलर अलर्ट का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे-जैसे मौसम अपने चरम की ओर बढ़ता है, वैसे-वैसे अलर्ट गहरा लाल होता चला जाता है। इसी तरह किसी चक्रवाती तूफान की भीषणता भी इन्ही कलर कोड से होती है। जितना भीषण चक्रवात उतना ही ज्यादा लाल अलर्ट होता जाता है।
आइये समझते हैं आसान भाषा में क्या होता है मौसम का अलर्ट
ग्रीन – कोई खतरा नहीं
येलो अलर्ट – खतरे के प्रति सचेत रहें। मौसम विभाग के निदेशक चरण सिंह ने बताया कि येलो अलर्ट के तहत लोगों को सचेत रहने के लिए अलर्ट किया जाता है। उन्होंने बताया कि यह अलर्ट जस्ट वॉच का सिग्नल है।
ऑरेंज अलर्ट – खतरा, तैयार रहें। मौसम विभाग के निदेशक चरण सिंह के अनुसार जैसे-जैसे मौसम और खराब होता है तो येलो अलर्ट को अपडेट करके ऑरेंज कर दिया जाता है। इसमें लोगों को इधर-उधर जाने के प्रति सावधानी बरतने को कहा जाता है।
रेड अलर्ट – खतरनाक स्थिति। चरण सिंह ने बताया कि जब मौसम खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है और भारी नुकसान होने की आशंका होती है तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है।