भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है, साथ ही इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है। कुछ लोग इसे अनंत चौदस के नाम से भी जानते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रुपों की पूजा की जाती है। इस पूजा में भगवान विष्णु के साथ अनंत सूत्र भी पूजा जाता है। जिसे हाथ में धारण किया जाता है, इस अनंत सूत्र में चौदह गांठे लगी होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अनंत सूत्र क्या होता है और इसमें ये 14 गांठे क्यों लगाते हैं, नहीं जानते तो कोई बात नहीं आइए जानते हैं…
अनंत चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल उठकर स्नानादि करने के बाद एक चौकी पर कलश की स्थापना की जाती है, और उस पर भगवान विष्णु की तस्वीर या प्रतिमा रखी जाती है, साथ ही एक सूती धागे को कुमकुम, हल्दी और केसर से रंगा जाता है इस धागे में चौदह गांठे लगाई जाती हैं, इसे ही अनंत सूत्र कहा जाता है। इस धागे को भगवान विष्णु की तस्वीर के समक्ष रखकर पूजा करते हुए मंत्र पढ़े जाते हैं। पूजा के बाद इस अनंत सूत्र को हाथ में धारण किया जाता है।
अनंत चतुर्दशी पर अनंत स्वरुप की पूजा की जाती है तो वहीं अनंत सूत्र में लगी गांठें चौदह भगवान विष्णु द्वारा बनाए गए 14 लोकों का प्रतीक होती हैं। माना जाता है कि यह सूत्र हर संकट से मनुष्य की रक्षा करता है। यदि हरि अनंत हैं, तो 14 गांठ हरि द्वारा उत्पन्न 14 लोकों की प्रतीक हैं। माना जाता है कि विष्णु जी ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों की रचना की थी। जिनके नाम इस प्रकार हैं-
- तल
- अतल
- वितल
- सुतल
- तलातल
- रसातल
- पाताल
- भू
- भुवः
- स्वः
- जन
- तप
- सत्य
- मह
कहा जाता है कि इन चौदह लोकों का पालन करने के लिए विष्णु जी ने भी चौदह अवतार लिए थे। जिसके कारण वे अनंत प्रतीत होने लगे थे। अनंत चतुर्दशी के दिन श्री कृष्ण द्वारा पांडवों को सुनाई गई कौंडिण्य ऋषि की कथा भी पढ़ी और सुनी जाती है। इस व्रत को चौदह वर्षों तक करने से मनुष्य को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।