अयोध्या में भूमि विवाद को लेकर थोड़ी ही देर में ऐतिहासिक फैसला आने वाला है। फैसले के मद्देनजर सभी संवेदनशील राज्यों में सुरक्षा-व्यवस्था के भारी इंतजाम किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में 5 सदस्यीय बेंच ने लगातार 40 दिनों तक इस मामले में सुनवाई की। बेंच ने मामले की सुनवाई 6 अगस्त से शुरू की और सुनवाई रोजाना चली, इस सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अब सभी को फैसले का इंतजार है।
सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर विवाद पर क्या फैसला देगा यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है। ऐसे में आगे की स्थिति क्या होगी? क्या यह फैसला अंतिम होगा या फिर आगे कोई रास्ता भी है।
रिव्यू पीटिशन का होगा मौका
कोर्ट के फैसले के बाद सभी पक्षों के पास पुनर्विचार याचिका (रिव्यू पिटीशन) दायर करने का मौका होगा। हालांकि कोर्ट को यह तय करना होगा कि वह पुनर्विचार याचिका को कोर्ट में सुने या फिर चैंबर में।
बेंच चाहे तो अपने स्तर पर ही इस याचिका को खारिज कर सकती है। अन्यथा इसे ऊपर के बेंच में स्थानांतरित किया जा सकता है। हालांकि इतिहास में देखें तो पाएंगे कि बेंच ने सभी मामलों का निपटारा अपने स्तर पर ही किया है।
इस सुनवाई के दौरान केस के किसी तथ्य पर विचार नहीं होता बल्कि कानूनी पहलुओं पर ही विचार किया जाता है।
क्यूरेटिव पिटीशन
रिव्यू पीटिशन के बाद सभी पक्षकारों के पास क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने का भी एक मौक़ा होगा। कोर्ट के फैसले के खिलाफ यह दूसरा और अंतिम विकल्प है जिसे क्यूरेटिव पिटीशन (उपचार याचिका) कहते हैं।
क्यूरेटिव पिटिशन के मामले में तीन वरिष्ठतम जज सुनवाई करते हैं और बाकी फैसला देने वाले जज शामिल होते हैं। इस तरह से इस मामले में तीन सीनियर जज और तीन मौजूदा जजों को मिलाकर कुछ 6 जज सुनवाई कर सकते हैं।
क्यूरेटिव पिटीशन में फैसले की जगह मामले में उन मुद्दों या विषयों को चिन्हित करना होता है जिसमें उन्हें लगता है कि इन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। इस क्यूरेटिव पिटीशन पर भी बेंच सुनवाई कर सकता है या फिर उसे खारिज कर सकता है। इस स्तर पर फैसला होने के बाद केस खत्म हो जाता है और जो भी निर्णय आता है वही सर्वमान्य हो जाता है।