सिटिज़नशिप (अमेंडमेंट) ऐक्ट, 2019 (CAA)। इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। 18 दिसंबर को अदालत ने इन याचिकाओं को सुना। SC ने इस संबंध में केंद्र सरकार को नोटिस देकर उसका जवाब मांगा है। इसके अलावा बड़ी डिवेलपमेंट ये रही कि अदालत ने इस क़ानून को लागू किए जाने पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 22 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
Granting citizenship to Bangladeshi Hindus can begin now as Supreme Court refuses to stay #CAA & next hearing fixed only on Jan 22। Govt needs to frame rules।
Means, those Bangladeshi Hindus who applied as INDIANS in Assam NRC & found rejected, will now apply as BANGLADESHIS— Shantanu N Sharma (@shantanunandan2) December 18, 2019
सरकार से कहा, मीडिया के रास्ते क़ानून का ब्योरा जारी करवाए
केंद्र की ओर से अदालत के आगे पेश हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दे रहे अडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय ने SC से कहा कि लोग इस अधिनियिम को लेकर भ्रम में है। इसपर चीफ जस्टिस एसए बोबडे की खंडपीठ ने अटॉर्नी जनरल को निर्देश दिया। कि वो सरकार ये कहें कि वो इस अधिनियम के जुड़े ब्योरे मीडिया में जारी करवाए। ताकि लोग जान पाएं कि इस क़ानून में है क्या।
Till Now
-Solidarity call for students of Jamia and AMU from all parts of India
-Protests intensified against CAA
– Many petitions challenging CAA constitutionality filed in Supreme Court।Be united and show patience। Avoid Rumours and identify people in the crowd।
— RishiKesh Yadav (@rishikeshlaw) December 16, 2019
असम गण परिषद (AGP), कांग्रेस नेता जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राज्यसभा सांसद मनोज झा समेत कई याचिकाएं डाली गई थीं सुप्रीम कोर्ट में। AGP तो BJP की सहयोगी पार्टी है।
CAA को लेकर देश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कहीं शांतिपूर्ण, कहीं हिंसक। असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में इसपर बहुत नाराज़गी है। वहां हिंसा तो अब शांत हो गई है। मगर विरोध अब भी जारी है। पश्चिम बंगाल में भी बेहद उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस क़ानून के विरोध में सड़कों पर उतरीं। उनका कहना है कि वो ये क़ानून पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगी। केरल सरकार ने भी ऐसा ही कहा है।