भगवान विष्णु के पाताल लोक में सोने के साथ ही पृथ्वी पर चातुर्मास लग जाता है । चार्तुमास अर्थात चार महिने तक कोई भी शुभ-मंगल काम नहीं होगा । इन चार महिनों ने न कहीं शहनाई बजेगी न मुंडन होगा न जनेउ । यहाँ तक की नामकरण और दीक्षा सं’स्कार भी इन चार महिनों में नही होगा ।
इस बाबत बात करते हुए पंडित योगेन्द्र झा ने बताया कि इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान अधिक होते हैं। श्री झा ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी 25 नवंबर तक चातुर्मास रहेगा। मलमास होने से इस बार पंचमास होगा। इस दौरान शुभ कार्य नहीं होंगे ।
भगवान विष्णु पाताल लोक में करते हैं निवास
चातुर्मास के दौरान साधु-संत यात्रा नहीं करते हैं। विष्णु पुराण के मुताबिक इन चार माह में भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां निवास करते हैं। चातुर्मास के देवता व संचालन कर्ता भगवान भोलेनाथ होते हैं। वृहत संहिता के अनुसार सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने के साथ चातुर्मास का आरंभ हो जाता है। भगवान राम ने भी रावणव’ध के पहले चातुर्मास में एकांत सेवन और धर्म का जागरण किया था।
शुभ मुहूर्त के लिए ये जरूरी
शादी के शुभ मुहूर्त के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु व मीन लग्न में से किसी एक का रहना जरूरी है। वहीं रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भाद्र, उत्तरा आषाढ़ में एक नक्षत्र कि उपस्थिति अनिवार्य है। सर्व उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा और हस्त नक्षत्र का रहना जरूरी है।
शादी के शुभ मुहूर्त-नवंबर : 25, 30, दिसंबर : 1, 2, 6, 7, 8, 9, 11, 13