किसानों के दिन भी बहुरेंगे। वे भी अपना उत्पाद देश की बड़ी मंडियों तक भेज सकेंगे। उनके उत्पाद को उचित मूल्य तो मिलेगा ही, मालगाड़ियों के सापेक्ष किराए में भी 50 फीसद की रियायत मिलेगी। यह रियायत रेलवे प्रशासन के सहयोग से केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय उपलब्ध कराएगा। यह सुविधा देने के लिए रेल मंत्रालय ने यूपी के प्रमुख स्टेशनों सहित भारतीय रेलवे स्तर पर किसान एक्सप्रेस (पार्सल ट्रेन) चलाने की योजना बनाई है। प्रथम चरण में पूर्वोत्तर रेलवे के फर्रुखाबाद से पहली किसान एक्सप्रेस चलाने की हरी झंडी भी मिल गई है। यह ट्रेन आलू लेकर असम के लिए रवाना भी हो चुकी है।
गोरखपुर से भी किसान एक्सप्रेस चलाने की तैयारी शुरू हो गई है। ट्रेन से महराजगंज का शकरकंद गुजरात भेजा जाएगा। दरअसल, किसान एक्सप्रेस भी यात्री ट्रेनों की तरह निर्धारित समय सारिणी और ठहराव के आधार पर चलेगी। ऐसे में किसानों के खाद्य उत्पाद व सब्जियां निर्धारित समय पर गंतव्य तक पहुंच जाएंगी। यही नहीं किसान ठहराव वाले स्टेशनों पर भी अपने उत्पाद की लोडिंग और अनलोडिंग कर सकेंगे। जैसे फर्रुखाबाद से चलने वाली ट्रेन में गोरखपुर से भी किसानों के उत्पादों की लोडिंग हो सकती है। ट्रेन की वापसी में भी मनचाहा उत्पाद मंगा सकते हैं।
मालगाड़ी की तरह पूरी रेक बुक करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। कम वजन होने पर भी उत्पाद बुक हो जाएंगे। दरअसल, बाजार के अभाव में किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। मनमाना किराया व ट्रांसपोर्टेशन की दिक्कतों के चलते वे चाहकर भी अपना उत्पाद मंडियों तक नहीं पहुंचा पाते। किसानों को खुले बाजार में अपने उत्पादों की बिक्री की सुविधा देने के लिए रेल मंत्रालय ने किसान एक्सप्रेस के संचालन की योजना बनाई है।
किसान एक्सप्रेस में लगने वाले वैगन गोरखपुर के यांत्रिक कारखाने में तैयार हो रहे हैं। कारखाने के इंजीनियर अपनी आयु (20 वर्ष) पूरी कर चुके पुराने यात्री कोचों की रीमाडलिंग कर किसान एक्सप्रेस के लिए वैगन तैयार कर रहे हैं। इन वैगनों में रखे गए किसानों के उत्पाद खराब नहीं होंगे। फर्रुखाबाद के लिए गोरखपुर से ही 18 वैगन भेजे गए हैं। कारखाने में आटोमोबाइल्स की ढुलाई के लिए भी पुराने कोचों से न्यू माडिफाइड गुड्स वैगन (एनएमजी) बनाए जा रहे हैं। अभी तक 776 एनएमजी तैयार हो चुके हैं, जिससे देशभर में आटोमोबाइल्स की ढुलाई हो रही है। फर्रूखाबाद स्टेशन से पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के बिहरा के लिए 210.5 टन आलू भेजा गया है। रेलवे को 5.64 लाख की आमदनी हुई है। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने 5.05 लाख की छूट दी है। किसान एक्सप्रेस के संचालन से रेलवे की आय में वृद्धि के साथ किसानों को अपने उत्पाद के लिए नया बाजार उपलब्ध होगा। उन्हें अच्छी कीमत भी मिलेगी। रेलवे की बिजनेस डेवलपमेंट यूनिट के लगातार प्रयास से कृषक उत्पाद संगठनों का किसान एक्सप्रेस के प्रति रुझान बढ़ने लगा है।