समय भी कैसे कैसे खेल खेलता है, देखिए !………संविधान के भाग 5 के अनुच्छेद 80 के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए और प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति राज्यसभा के सदस्यों का मनोनयन करता है …।।अनुच्छेद 80 के अनुसार राज्यसभा के लिए वही लोग मनोनीत हो सकते हैं जो- साहित्य, विज्ञान कला या समाज विज्ञान के क्षेत्र में अपना विशेष स्थान रखते हों और जिन्होंने इस क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान भी दिया हों। …।यह बात हम सभी जानते है
लेकिन सरकारे अक्सर इसे बैकडोर के रूप में इस्तेमाल करती है ……
2018 में मोदी सरकार की सिफारिशों पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, राम शकल जैसे सक्रिय राजनेता को राज्यसभा भेज चुके है जो बीजेपी के टिकट पर रॉबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र से तीन बार सांसद रह चुके थे…।… इससे पहले भाजपा सुब्रमन्यम स्वामी और नवजोत सिंह सिद्धू को राजयसभा मेंबर बना कर उपकृत कर चुकी है ……लेकिन जब मनमोहन सिंह के कार्यकाल में मणिशंकर अय्यर का राज्य सभा के लिए मनोनयन किया गया था तब भाजपा द्वारा इसे बड़ा मुद्दा बना दिया गया था……।। मणिशंकर अय्यर 2009 में वो लोक सभा चुनाव हार गए थे। तब भाजपा ने उनके मनोनयन का भारी विरोध किया था। कांग्रेस द्वारा कहा गया कि साहित्य में मणिशंकर के योगदान को ध्यान में रखते हुए उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया था।
आप को जान कर हंसी आ जाएगी कि तब भाजपा प्रवक्ता आज के हमारे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ही थे, भाजपा प्रवक्ता रामनाथ कोविंद ने अनुच्छेद 80 का ज़िक्र करते हुए अय्यर के मनोनयन पर तमाम सवाल खड़े किए थे , भाजपा प्रवक्ता कोविंद जी ने अनुच्छेद 80 का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि जो इन श्रेणियों में आते हैं उन्हें ही इन पदों के अंतर्गत मनोनीत किया जाना चाहिए।
आज वही रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति के पद पर आसीन होकर राज्यसभा के लिए रंजन गोगोई को मनोनीत कर रहे है जिनका साहित्य, विज्ञान कला या समाज विज्ञान के क्षेत्र में कोई योगदान नहीं है लेकिन वह पूर्व चीफ जस्टिस रहे है जिन्होंने कई विवादास्पद फैसले भी दिए है
-GIRISH MALVIYA