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देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन के साथ-साथ एंबुलेंस की भी भारी किल्लत है। एंबुलेंस मिल भी जाए तो कई बार ट्रैफिक जाम की वजह से अस्पताल पहुंचने से पहले ही मरीज की मौत हो जाती है। इस तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन अब इस मुसीबत को दूर करने के लिए महाराष्ट्र के पालघर जिले में बाइक एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की गई है। यह एंबुलेंस स्ट्रेचर, ऑक्सीजन किट, लाइट, फैन, आइसोलेशन केबिन जैसी सुविधाओं से लैस है। इस एंबुलेंस को फर्स्ट रेस्पॉन्डर नाम दिया गया है।
अलर्ट सिटीजन फोरम और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने फिलहाल के लिए पालघर जिला प्रशासन को दो बाइक एंबुलेंस दी हैं, जो अब मरीजों की सेवा के लिए वहां की सड़कों पर दौड़ रही हैं। संस्था की मानें तो आने वाले कुछ दिनों में और 23 बाइक एंबुलेंस प्रशासन को देने की योजना है।
एक बाइक एंबुलेंस को तैयार करने में करीब तीन लाख रुपए खर्च हुए हैं। इसमें एक एंबुलेंस में मिलने वाली हर सुविधा उपलब्ध है।
36 साल के निरंजन आहेर ने इस बाइक एंबुलेंस को डेवलप किया है। वे अलर्ट सिटीजन फोरम के फाउंडर हैं। वे कहते हैं कि हमारी संस्था पिछले कई सालों से पालघर के ग्रामीण इलाकों में हेल्थ, एजुकेशन, एम्प्लॉयमेन्ट जैसे विषयों पर काम कर रही है। हेल्थ के अलग-अलग विषयों पर काम करते हुए हमें यह अनुभव हुआ कि खराब और छोटे-छोटे रास्तों की वजह से मरीजों को अस्पताल ले जाने में देरी हो जाती है और सही समय पर इलाज न मिल पाने के कारण उनकी मौत भी हो रही है। लोगों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए हमने कई एक्सपेरिमेंट और रिसर्च किए। फिर एक्सपर्ट से मिलने के बाद हमने मोटर बाइक एंबुलेंस डेवलप करने का प्लान किया।
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एक बाइक एंबुलेंस को तैयार करने में करीब तीन लाख रुपए खर्च हुए : आहेर ने बताया कि हमारे लिए यह काम किसी चुनौती से कम नहीं था, क्योंकि इसे बनाने से पहले हमें मरीजों की हर सुविधा के बारे में ध्यान रखना था। हम लोग इसके मॉडल को लेकर प्लान कर रहे थे, उसी दौरान हमारे टीम मेंबर्स को शोले मूवी में इस्तेमाल की गई बाइक याद आई, जिसमें साइड कार थी। हमने इस पर काम करना शुरू किया। चार से पांच महीने की कड़ी मशक्कत के बाद फर्स्ट रेस्पॉन्डर नाम की यह बाइक तैयार करने में कामयाबी मिली। उनके मुताबिक एक बाइक एंबुलेंस को तैयार करने में करीब तीन लाख रुपए खर्च हुए हैं।