दिल्ली हिंसा । करीब 40 से ज्यादा लोग मरे । कितने ही घायल हुए । कुछ का तो पता भी नहीं चला । पास के नाले से लोगों के लाश अभी भी निकल रहे हैं । लेकिन असली सवाल ये है कि ये दंगा इतना भड़का क्यों ? क्या कारण था ? किसी एक नेता के कहने मात्र से भीड़ इतनी पगला क्यों गई ।
इनके जिम्मेदार जितने नेता को माना जाता है । उससे कहीं अधिक जिम्मेवार है मीडिया । इन्होने दिन रात अपने चैनल पर इतना हिन्दू मुसलमान दिखा दिया कि लोग उ्ग्र हो गए । मुँह में माइक डालकर नारा ए तकबीर और जय श्रीराम बुलवाने वाली मीडिया इस दंगे का उतना ही जिम्मेवार है जितना आम लोग । किसी ने शाहरूख को अनुराग मिश्रा बता दिया तो किसी ने ताहिर हुसैन को सीधा आतंकवादी बता दिया । हमने चैनल बदल-बदल कर मजे लिये और अपने के सकुशल की कामना कर चुप रह गए ।
कुछ यही वाकया पिछले दिनों एनडीटीवी के एक पत्रकार के टेबल पर रखे रूसी गुडि़या मात्र्योस्का पर हुआ था । कईयों का कहना था कि ये आतंकी ओसामा बिन लादेन की मुर्ती है । बवाल हुआ और सोशल मीडिया में भूचाल आ गया । इतना भूचाल की खुद रविश कुमार को आकर डिफेंड करना पड़ा । अब सच और झूठ क्या था ये तो वो ही जाने । यानि कुमार विष्णु, जिनके मेज पर यह मुर्ती रखी थी । लेकिन सोशल मीडिया के तथाकथित पत्रकार ने उसे खूब लपेटा । बकायदा मीम्स शेयर होने लगे । एक पत्रकार ने तो नकल तक कर डाली रविश कुमार मोदी जी के कुत्ते के मरने की रिर्पोटिंग कैसे करेंगे ।
खैर जो भी हो । इस सबने हमें एक पुराने पोस्ट की याद दिला दी । पोस्ट ये था…
‘यह तस्वीर एक शिक्षक उमा खुराना की है। 28 अगस्त,2007 को उनके तुर्कमान गेट स्थित सरकारी स्कूल के बाहर अचानक भीड़ इकठ्ठा हुई और उमा जी कुछ समझ पातीं, इसके पहले गुस्साई भीड़ ने उन्हें स्कूल के बाहर खींचकर सड़क पर न केवल जान से मारने का प्रयास ही किया बल्कि सरे राह उनके कपडे फाड़ कर नग्न तक कर दिया था। मौके पर पहुंची पुलिस पर भी भीड़ ने पथराव कर दिया। पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी गई।
भीड़ ‘लाइव इंडिया’ नामक एक चैनल पर दिखाई गयी खबर से भड़की हुई थी जिसमें एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिये उन्हें सेक्स रेकेट चलाने का दोषी करार दिया गया था। जांच के बाद यह पूरा स्टिंग ऑपरेशन फर्जी पाया गया। लाइव इंडिया के इस दलाल पत्रकार ने उमा जी के कुछ दुश्मनों के कहने पर यह नकली स्टिंग किया था। इसमें जिस लडकी को स्कूली छात्रा के रूप में दिखाया गया था, वह दरअसल उसी चैनल की एक रिपोर्टर थी, जो छात्रा होने की एक्टिंग कर रही थी।
न्यूज़ चैनल पर एक महीने का प्रतिबन्ध लगा दिया गया। उमा जी पूरी तरह बेदाग़ साबित हुईं। वही पत्रकार आजकल अपने उसी फर्ज़ी वीडियो के पुराने हथकंडे से लोगों को देशद्रोही साबित करने में लगे हैं। इस बार वे भीड़ को लोगों को मार देने के लिए उकसा रहे हैं। उमा जी की जगह खुद को रखकर सोचियेगा एक बार। एक पत्रकार हमें भेड़ियों में बदल रहा है।
(जेएनयू में पढ़े और राजकीय महाविद्यालय डूंगरपुर में Lecturer के पद पर कार्यरत हिमांशु पंड्या के फेसबुक वॉल पर यह 2007 में काफी चर्चा में रहा था ।‘)
जानते है किसने किया था । वहीं जो रोज रात को आपके बीच विश्वसनीय खबर परोसते हैं । हर खबर का DNA करने वाले सुधीर चौधरी । जिन्होने 2000 के नोट में चिप लगाकर एक राष्ट्रीय चैनल पर लगातार दिखाया और आज तक माफी भी नहीं मांगी । उपर वाले मामले में भी रिपोर्टर पर सारा इलजाम डालकर खुद बाहर निकल गए । और मजे से हिन्दू-मुसलमान करने लगे । अभी भी पुरी तन्मयता से रात को 9 बजे आते हैं और हिन्दुस्तान का DNA करके चले जाते हैं ।