हर भारतीय ‘जन-गण-मन’ की धुन सुनने पर गर्व महसूस करता है। लेकिन हमारे राष्ट्रगान का 27 दिसंबर से खास नाता है। दरअसल, 27 दिसंबर को पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में राष्ट्रगान गाया गया था।
सात मई 1861 को टैगोर का जन्म तत्कालीन कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था। कहते हैं कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने आठ साल की उम्र में ही कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं।उनका लिखा ‘जन गण मन’ पहली बार 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन के दूसरे दिन का काम शुरू होने से पहले गाया गया था। अमृत बाज़ार पत्रिका’ में यह बात साफ़ तरीके से अगले दिन छापी गई।
पत्रिका में कहा गया कि कांग्रेसी जलसे में दिन की शुरुआत गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित एक प्रार्थना से की गई। ‘बंगाली’ नामक अख़बार में ख़बर आई कि दिन की शुरुआत गुरुदेव द्वारा रचित एक देशभक्ति गीत से हुई। टैगोर का यह गाना संस्कृतनिष्ठ बंग-भाषा में था, यह बात ‘बॉम्बे क्रॉनिकल’ नामक अख़बार में भी छपी।
भारत का राष्ट्र गान अनेक अवसरों पर बजाया या गाया जाता है। राष्ट्र गान के सही संस्करण के बारे में समय समय पर अनुदेश जारी किए गए हैं, इनमें वे अवसर जिन पर इसे बजाया या गाया जाना चाहिए और इन अवसरों पर उचित गौरव का पालन करने के लिए राष्ट्र गान को सम्मान देने की आवश्यकता के बारे में बताया जाता है। सामान्य सूचना और मार्गदर्शन के लिए इस सूचना पत्र में इन अनुदेशों का सारांश निहित किया गया है।