आज अटल बिहारी वाजपेयी इस दुनियां में नहीं है । लेकिन वो हरेक भारतीय के दिल में बसे हैं । कारगिल वार हो या फिर परमाणु परीक्षण । देश हमेशा उनको इन शक्तिशाली फैसलों के लिये याद करेगा । आज उनकी पुण्यतिथि है । बिहार से उनकी स्मृतियां हमेशा से जुड़ी रहीं हैं। वे अक्सर कहा करते थे- आप बिहारी तो मैं अटल बिहारी। ये अटल बिहारी वाजपेयी ही थे, जिन्होंने मैथिली (Maithili) को संविधान की आठवीं अनुसूची (Eight Schedule of Constitution) में शामिल कर उसे सम्मान दिलाया।
मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में दिया स्थान
अटल बिहारी वाजपेयी का बिहार से गहरा नाता रहा। बतौर प्रधानमंत्री उन्होंने बिहार के मिथिलांचल (Mithilanchal) की जन भावना को ध्यान में रखते हुए दिसंबर 2003 में मैथिली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का बड़ा फैसला लिया। मैथिली को यह सम्मान दिलाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास 23 वर्षों से लंबित पड़ा था। तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) और डा. जगन्नाथ मिश्र (Dr. Jagannath Mishra) ने इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा था। वाजपेयी जब प्रधानमंत्री बने, तब उनका ध्यान इस ओर गया।
मिथिलांचल को जोड़ने को कोसी महासेतु का निर्माण
बाजपेयी ने मिथिलांचल के लिए एक और बड़ा काम किया। साल 1934 के विनाशकारी भूकंप के दाैरान मिथिलांचल के दरभंगा-मधुबनी और सहरसा-सुपौल अलग-अलग दो भागों में बंट गए थे। दरभंगा से सहरसा-सुपौल जाने के लिए जानकी एक्सप्रेस ट्रेन से रात भर का लंबा सफर करना पड़ता था। वाजपेयी ने दो भागों में बंटे मिथिलांचल के लिए कोसी महासेतु (Koshi Mahasetu) के निर्माण का फैसला लिया। इससे मिथिलांचल का एकीकरण हुआ। ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर (East-West Corridor) के तहत बनी फोरलेन सड़क ने विकास के रास्ते भी खोल दिए।