भारत की हाईड्रोक्सीक्लोक्वीन दवा पर रोक लगवाकर चीन सोच रहा था कि उसने भारत के खिलाफ बड़ी जंग जीत ली है. लेकिन, भारत ने कोरोना वैक्सीन (कोरोना का रामबाण इलाज) खोज निकाला है. कोरोना वैक्सीन खोजने के लिए चीन ने भी तमाम प्रयास किए, लेकिन वह अब तक नाकाम रहा है. ऐसे में चीन को एक बार फिर से मुंह की खानी पड़ी है.
ग्लेनमार्क ने तैयार किया रामबाण इलाज
सबसे खास बात ये है कि भारत में तैयार हुई रामबाण दवा का प्रयोग काफी दिनों से किया जा रहा है. दरअसल, भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनी ग्लेनमॉर्क ने दो दवाओं के कॉम्बिनेशन को आजमाया है.
दवाओं का ये कॉम्बिनेशन ट्रायल के तीन चरणों में सफल रहा है. अब तक ये दवाएं तीनों ट्रायल में उम्मीद से भी कहीं बेहतर साबित हुई हैं. ऐसे में ग्लेनमार्क ने फेविपिराविर और यूमिफेरोविर नाम की इन दोनों दवाओं के कॉम्बिनेशन का ह्यूमन ट्रायल शुरू करने की तैयारी कर ली है.
आईसीएमआर ने दी मंजूरी
ग्लेनमार्क को इस कॉम्बिनेशन की सफलता के बारे में लगभग एक महीने पहले ही संकेत मिल चुके हैं. इस बीच आईसीएमआर ने भी दवाओं के इस कॉम्बिनेशन के प्रारंभिक परिणाम देख ह्यूमन ट्रायल की अनुमति दे दी है.बता दें कि पिछले दिनों खबर थी कि जल्द ही मरीजों पर एक ऐसी दवा का परीक्षण होने वाला है, जिसके नतीजे उम्मीद से भी ज्यादा अच्छे मिले हैं. यह दवा ग्लेनमार्क की ही थी.
जून के अंत तक मार्केट में आ सकती है दवा
हालांकि, पहले दोनों दवाओं में से सिर्फ एक के परीक्षण की अनुमति मिली थी, लेकिन ताजा नतीजों के बाद दोनों दवाओं के कॉम्बिनेशन को मंजूरी दे दी गई है. बताया जा रहा है कि ह्यूमन ट्रायल शुरू होने के बाद 15 से एक महीने के भीतर दवा के असर का पता चल जाएगा. यदि सबकुछ ठीक रहा तो जून के मध्य तक कोरोना की ये रामबाण दवा मार्केट में उपलब्ध हो जाएगी.
हर मोर्चे पर फेल रहा चीन
दूसरी तरफ, खुद के बनाए वायरस से निपटने के लिए और दुनिया पर धौंस जमाने के लिए चीन ने एक साथ कई दवाओं पर काम करना शुरु किया. चीन ने एकसाथ कई वैक्सीन और टेबलेट बनाने की कोशिश की. अपने नागरिकों पर इसका कोई दुष्प्रभाव ना पड़े, इसके लिए चीन ने अपनी लैब की बजाय पाकिस्तान की लैबों में दवाओं का परीक्षण शुरू किया. इतना सब करने के बाद भी चीन को सिर्फ असफलता ही मिली.
दूसरे देशों में भी चल रहा ट्रायल
वहीं बात करें अमेरिका और इंग्लैण्ड की तो यहां भी वैक्सीन बनाने की दिशा में काम लगातार जारी हैं. इसके अलावा इटली और इस्राइल भी कोरोना की दवा बनाने का दावा कर चुके हैं. हालांकि, इनमें से किसी भी देश द्वारा तैयार दवा के साल के आखिर तक कोई भी वैक्सीन या टेबलेट मार्केट में आने की संभावना कम है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च काफी तेजी से चल रही है अगर वो सफल रहती है तो भी वैक्सीन भारत में ही बनेगी और सबसे पहले भारत को मिलने की संभावना है. ऑस्ट्रेलिया भी वैक्सीन बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसमें भी काफी वक्त लगने की संभावना है.